(Hindi Chanakya Niti) चाणक्य या जिसे हम कौटिल्य के नाम से भी जानते है। चाणक्य एक बहुत ही विद्वान पंडित थे। उन्होंने एक मामोली से लड़के को भारत का सम्राट बना दिया। केवल अपने ज्ञान और सही मार्गदर्शन से। उन्होंने सम्पूर्ण मानव समाज को वही विचार प्रदान किये है। अगर कोई मनुष्य चाणक्य द्वारा प्रदान किये गए विचारों पर चलेगा तो आगे चलकर वह बहुत उन्नति करेगा तो चलिए जानते चाणक्य नीति (Hindi Chanakya Niti) के कुछ विचार
1. आत्मा के साथ परमात्मा है। मनुष्य हर शरीर के साथ ही अपने जन्म के कर्मों का फल पाता है।
2. बिना पढ़े पुस्तक को अपने पास रखना।
अपना कमाया धन दूसरों के हवाले करना।
यह अच्छी बातें नहीं। इनसे दूर रहने में लाभ है।
3. दुश्मन की शरण में जाने से धन मिले।
ऐसे धन से आदमी निर्धन अच्छा, ऐसे जीवन से मौत अच्छी।
4. पाप और अत्याचारों से कमाया धन, अधिक से अधिक दस वर्ष तक पुरुष के साथ रहता है।
इसके पश्चात् ऐसा धन मूल सहित अपने आप नष्ट हो जाता है।
इसलिए पाप को कमाई से सदा दूर रहें।
5. जो ज्ञान देता है, वह गुरु है भले ही गुरु से मात्र एक अक्षर ही प्राप्त किया हो। फिर भी वह गुरु है।
6. धर्म, धन, अन्न, गुरु का ज्ञान, दवाइयाँ आदि का सदा संग्रह करके रखना चाहिए।
ऐसी सब चीजें समय आने पर इंसान के काम आती हैं।
7. कोई भी काम आरम्भ करने से पहले तीन प्रश्न करने चाहिये ?
यह काम क्यों कर रहा हूँ ?
इसका क्या फल मिलेगा ?
इन प्रश्नों के उत्तर गम्भीरता से अपने मन में ढूंढने का प्रयत्न करें।
इसके पश्चात् ही काम आरम्भ करें।
8. शक्तिशाली शत्रु, कमजोर मित्र सदा नुकसान देते हैं।
क्योंकि कमजोर मित्र कभी भी विश्वास घात कर सकता है।
परन्तु शत्रु से आदमी स्वयं होशियार रहता है।
9. इस संसार में यदि आप किसी चीज पर सम्पूर्ण रूस से विश्वास कर सकते हैं तो वह केवल आपका मन है।
जो लोग अपने मन की आवाज सुनकर चलते हैं वे सदा सुखी रहते हैं।
10. तप, भक्ति, पूजा केवल एकान्त में ही करनी चाहिए।
विद्यार्थियों को इकट्ठे बैठकर पढ़ना चाहिए।
गीत, गाने वाले मिलकर गायें तो अच्छा लगता है।
इकट्ठे मिलकर सफर करने से थकावट नहीं होती।
मिलकर खेती करने से फसल अच्छी होती है।
बहुत सारे लोग यदि मिलकर शत्रु से युद्ध करें तो विजय उन्ही की होगी।
11. राजा की आज्ञा, कन्यादान, पंडित के बोल।
राजा एक बार हुक्म देने के पश्चात् उसका पालन चाहता है।
उसके आदेशों का पालन न करने वाले को सजा मिलती है।
कन्यादान केवल एक बार होता है इसके पश्चात् लड़की पराई हो जाती है।
12. जिसका कोई भाई न हो वह प्राणी अकेला दुःखी रहता है। एकांत उसे सांप की भाँति काटता है।
मुर्ख का दिल और दिमाग शून्य होता है। गरीब बेचारे की तो हर चीज शून्य होती है।
गरीब होना ही पाप है और धनवान होना जीवन का सुनहरा पन है।
13. सोने की पहचान घिसकर, काटकर, पीसकर तथा गर्म करके की जाती है
और मनुष्य की परीक्षा त्याग, गुण, शील के आधार से की जाती है,
इसलिए हर मनुष्य को इन गुणों को देखकर उसके बारे में निर्णय करें।
14. अनुभव हीन आदमी के लिए तो शस्त्र केवल एक जहर के समान है।
बुरा खाना जहर बन जाता है।
पागल जानवरों की सभा भी जो जहर जैसी होती है। क्योंकि
वहाँ से बुद्धिमान लोग कुछ पाने की बजाय खोकर ही आते हैं।
15. धर्म वही है जिससे दया की शिक्षा मिले।
जिस धर्म से दया की शिक्षा न मिले उसे छोड़ देना चाहिए।
बात-बात पर झगड़ा करने वाली औरत को तो घर से निकाल देना चाहिए।
ये भी पढ़ें
जाने चाणक्य जी ने औरतों के बारे में क्या कहा