Hindi Pollution Essay
प्रदूषण पर निबंध
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शब्दों में
प्रदूषण पर निबंध
प्रस्तावना – आज के समय में प्रदुषण एक विश्व व्यापी पर्यावरणीय मुद्दा है। प्रदुषण शब्द लैटिन भाषा के ‘pollutio’ शब्द से लिया गया है, जिसका अर्थ है गन्दा करना। लेकिन प्रदुषण क्या है? प्रदुषण प्रदूषक के रूप में हानिकारक पदार्थो को मिलकर पर्यावरण, भूमि, पानी और हवा को गन्दा करने की प्रक्रिया है। प्रदुषक वे पदार्थ है जो वायु, जल आदि को दूषित करते हैं, जैसे – धुआँ, धूल, कचरा आदि। इससे केवल मानव ही नहीं बल्कि जीव समुदाय भी प्रभावित हुआ है। इसके दुष्प्रभावों को चारों तरफ देखा जा सकता है। यदि यह ऐसे ही बढ़ता जायेगा तो भविष्य में मनुष्य जीवन की कल्पना करना भी मुश्किल हो जायेगा।
प्रदूषण का अर्थ – जीवन के लिए संतुलित वातावरण अत्यन्त आवश्यक है। वातावरण के इन घटकों में हानिकारक बाहा घटकों के प्रवेश से वातावरण प्रदूषित हो जाता है जो सभी जीवधारियों के लिए हानिकारक हो जाता है। वातावरण के दूषित हो जाने को प्रदुषण कहा जाता है जो मुख्यतः जल, वायु, ध्वनि आदि में आज सर्वत्र व्याप्त है।
Essay on pollution in Hindi /प्रदुषण पर निबंध
प्रदूषण के प्रकार –
जल प्रदूषण – जल जीवन का पर्याय है (जल ही जीवन है) बिना जल के जीवन असम्भव है। जल भी स्वच्छ और विकार रहित होना चाहिए। अद्योग-धन्धों का कचड़ा, रासायनिक तत्त्व आदि नदियों में मिलते रहते हैं। ये जमीन के अन्दर जाकर भूमिगत जल को प्रदूषित करते हैं। जिससे दिन प्रतिदिन जल दूषित होते जा रहा है। एक समय ऐसा आयेगा की पीने वाला पानी भी जहर समान हो जायेगा।
वायु प्रदूषण – वायुमण्डल में विभिन्न प्रकार की गैसें अपनी आपसी क्रिया द्वारा सन्तुलित अवस्था में रहकर जीव-जगत के लिए प्राण वायु ऑक्सीजन की निश्चित मात्रा सुनिश्चित करती है। वृक्षों के कटान, उद्योग-धन्धों के धुएँ और कचड़े से यह सन्तुलन बिगड़ जाता है। वायुमण्डल में ऑक्सीजन कम हो जाती है तथा कार्बन डाई-ऑक्साइड की मात्रा बढ़ जाती है जो हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। यही वायु प्रदुषण होता है।
ध्वनि प्रदूषण – अनेक प्रकार के वाहनों जैसे-मोटर, कार, जेट विमान, ट्रैक्टर आदि लाउडस्पीकर, बाजे, कारखानों के साइरन और मशीनों से होनेवाली आवाजों से ध्वनि प्रदूषण होता है। ध्वनि की ये लहरें जीव-धारियों की क्रियाओं को प्रभावित करती हैं। अत्यधिक तेज ध्वनि से लोगों में सुनने की क्षमता कम हो जाती है तथा नींद भी ठीक प्रकार से नहीं आती है, यहाँ तक कि कभी-कभी पागलपन का रोग भी उत्पन्न हो जाता है।
रासायनिक प्रदूषण – प्रायः कृषक अधिक फसलोत्पादन के लिए कीटनाशक और रोगनाशक दवाइयों व रसायनों का प्रयोग करते हैं, जो स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव डालते हैं। आधुनिक पेस्टिसाइड्स का अन्धा-धुंध प्रयोग भी लाभ के स्थान पर हानि पहुंचाता है।
रेडियोधर्मी प्रदूषण – परमाणु शक्ति, उत्पादन केंद्रों और परमाणविक परिक्षण से भी जलवायु तथा पृथ्वी का प्रदूषण होता है। परमाणु विस्फोट के स्थान पर तापक्रम इतना अधिक हो जाता है कि धातु तक पिघल जाती है। जो आज की पीढ़ी के लिए ही नहीं अपितु आनेवाली पीढ़ियों के लिए भी हानिकारक है।
प्रदुषण रोकने के उपाय – प्रदुषण को रोकने के लिए व्यक्तिगत और सरकारी दोनों ही स्तरों पर प्रयास किये जाने आवश्यक है। प्रदूषण के निवारण एवं नियंत्रण के लिए भारत सरकार ने कई महत्त्वपूर्ण कदम उठाये हैं, जैसे – वाहनों से निकलने वाले धुएँ की जाँच की व्यवस्था करना, नये उद्योगों को लाइसेन्स दिये जाने से पूर्व उन्हें औद्योगिक कचरे के निस्तारण की समुचित व्यवस्था करना और इसकी पर्यावरण विशेषज्ञों से स्वीकृति प्राप्त करना अनिवार्य होगा। वनों को अनियंत्रित कटाई को रोकने के लिए कठोर नियम बनाया जाना भारत सरकार की महत्त्वपूर्ण कार्यशैली है।
उपसंहार – सरकार प्रदुषण की रोकथाम के लिए पर्याप्त सजग है। पर्यावरण के प्रति जागरूकता से ही हम और अधिक अच्छा एवं स्वस्थ जीवन जी सकेंगे और आनेवाली पीढ़ी को प्रदूषण के अभिशाप से मुक्त दिला सकेंगे।
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