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कहानियाँ

Kids Moral Stories In Hindi बच्चों की कहानियाँ

Shivam KasyapBy Shivam KasyapJune 14, 2021No Comments9 Mins Read
Kids Moral Stories In Hindi
Kids Moral Stories In Hindi
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Kids Moral Stories In Hindi किसी ने मुझसे पूछा की कहानियाँ पढ़ने से क्या होता है तो मैंने उत्तर दिया, कहानियाँ पढ़ने से हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता हैं, और  हमे अपने जीवन में क्या – क्या गलतियाँ नहीं करनी हैं। इसके बारे में जानकारी मिलती है। इसलिए आप भी थोड़ा – सा समय निकाल कर कहानियाँ जरूर पढ़ा कीजिये। 

बिल्ली और बन्दर

एक गांव में दो बिल्लियाँ रहती थीं। वे आपस में मेल से रहती थीं। उन्हें जो कुछ मिलता था, उसे आपस में बाँटकर खाया करती थीं।  एक दिन उन्हें एक रोटी मिली। उसे बराबर – बराबर बाँटते समय उनमें झगड़ा हो गया।  एक कहती तह कि तुम्हारी रोटी का टुकड़ा बड़ा है और दूसरी कहती थी कि  मेरा टुकड़ा बड़ा नहीं है। 

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जब दोनों आपस में ठीक बँटवारा नहीं कर सकीं तो एक बन्दर के पास गयीं। उन्होंने बन्दर को अपना पंच बनाया।बन्दर ने एक तराजू मँगाया और रोटी के दोनों टुकड़े एक – एक पलड़े में रख दिये।  तौलते समय जो टुकड़ा भारी हुआ, उसमें से उसने थोड़ी – सी रोटी तोड़कर अपने मुँह में डाल ली।  अब वह टुकड़ा छोटा हो गया और दूसरा टुकड़ा भारी होने लगा। बन्दर ने उस टुकड़े में से थोड़ी रोटी तोड़कर खा ली।  इस प्रकार बारी – बारी से दोनों टुकड़ो में से थोड़ी – थोड़ी रोटी तोड़कर बार – बार खाने लगा। 

जब रोटी का बहुत भाग बन्दर ने खा लिया और दोनों टुकड़े बहुत छोटे – छोटे रह गए, तब बिल्लियाँ घबरायीं।  उन्होंने बन्दर से कहा –‘अब आप कष्ट न करें। हमलोग आपस में ही बँटवारा  कर लेंगी। 

बन्दर बोला –‘मैं इतना परिश्रम किया है, मुझे भी तो कुछ मजदूरी चाहिये।’ यह कहकर दोनों बचे टुकड़े उसने मुँह में भर लिए और ‘हूप’ करके बिल्लियों  को डराकर भाग गया। 

दोनों बिल्लियाँ बहुत पछतायीं और कहने लगीं –‘आपस की फूट बहुत बुरी है। “

आपसी लड़ाई का फल 

किसी जंगल में एक शेर और एक चीता रहता था। वैसे तो शेर बहुत बलवान होता है; किंतु वह शेर बूढ़ा हो गया था। उससे दौड़ा कम जाता था। चीता मोटा और बलवान था। इतने पर भी चीता बूढ़े शेर से डरता था और उससे मित्रता रखता था; क्योंकि बूढ़ा होनेपर भी शेर चीते से तो कुछ अधिक बलवान था ही। 

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 एक बार कई दिनों तक शेर और चीते में से किसी को कोई शिकार नहीं मिला।  दोनों बहुत भूखे थे। उन्होंने देखा कि  एक छोटा -सा  हिरन पास में ही चर रहा है।  चीते ने शेर से कहा –‘मैं हिरन को पकड़ता हूँ। लेकिन आप उस नाले के ऊपर बैठ जाएँ, जिससे हिरन नाले में भागकर छिप न सके।’

शेर  नाले पर बैठ गया।  चीते ने हिरन को दौड़कर पकड़ लिया और मार डाला।  लेकिन हिरन बहुत छोटा था। उससे दो में से किसी एक की ही भूख मिट सकती थी।  दोनों भूखे थे, इसलिए दोनों के मन में लालच आया।  चीता कहने लगा –‘हिरन को मैंने अकेले मारा है,इसलिए मैं ही खाऊँगा।’ शेर बोला –‘मैं जंगल का राजा हूँ।  हिरन मैं खाऊँगा। तुम तो दौड़ सकते हो,दौड़कर दूसरा शिकार पकड़ो।’

दोनों का झगड़ा बढ़ गया। वे आपस में दाँत और पंजों से लड़ने लगे। झाड़ी में छिपा एक सियार यह सब बातें देख रहा था, जब शेर और चीते ने एक – दूसरे को पंजो और दांतों से बहुत घायल कर दिया और दोनों भूमिपर गिर पड़े तो सियार झाड़ी से निकला।  वह हिरन को घसीटकर झाड़ी में ले गया और खाने लगा। शेर और चीते में  कोई भी उठ नहीं सकता था। वे देखते ही रह गये। 

जब दो व्यक्ति किसी वस्तु के लिए लड़ने लगते हैं तो उन दोनों की हानि होती है। लाभ तो कोई तीसरा ही उठाता है। इसलिए आपस में लड़ना नहीं चाहिये। कुछ हानि भी हो तो उसे सहकर मेल से रहना चाहिये। 

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कछुआ और खरगोश 

तुमने खरगोश देखा होगा, खरगोश भूरे और सफ़ेद होते हैं। दूसरे भी कई रंगों के खरगोश पाए जाते हैं। कुछ लोग पालते भी हैं। खरगोश को संस्कृत में शशक कहते हैं। खरगोश बहुत छोटा जानवर होने पर भी दौड़ने में बहुत तेज होता है। 

एक बार एक खरगोश बहक रहा था –‘मैं बहुत अच्छी चौकड़ी मारता हूँ। मुझसे तेज संसार में और कोई दौड़ नहीं सकता।’

वहीं एक कछुआ पड़ा था। कछुए ने कहा — ‘भाई ! तुम बहुत तेज दौड़ते हो, यह बात तो ठीक है; लेकिन किसी को घमंड नहीं करना चाहिये। घमंड  करने से लज्जित होना पड़ता है।’

 

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खरगोश ने कहा।–‘मैं अपनी झूठी बड़ाई तो करता नहीं। अपने सच्चे गुण को कहने में क्या दोष है? तू रेंगता हुआ कीड़े की चाल  चलता है,इसीलिए मेरा गुण सुनकर तुझे डाह ( जलन ) होती है। 

जब खरगोश कछुए को बहुत चिढ़ाने लगा तो कछुए ने कहा –‘आपको अपनी चाल का घमंड है तो आइये,हमारी – आपकी दौड़ हो जाय।  देखें कौन जीतता है !’

खरगोश बहुत दूर दिखने वाले एक पेड़ को बताकर  कहा –‘अच्छी बात है,चलो, उस पेड़ के पास जो पहले पहुँचेगा, वही जीता माना जायगा।’

खरगोश ने सोचा कि  बेचारा कछुआ रेंगता चलेगा।वह पेड़ से चार हाथ दूर रह जाय और तब मैं यहाँ से चलूँ, तो भी चौकड़ियाँ भरूँगा और उससे आगे पहुँच जाऊँगा।  उसने कछुए से कहा –‘तुम तो सुस्त हो, धीरे -धीरे चलोगे, अभी चल पड़ो। मैं थोड़ी देर में आता हूँ। 

कछुआ बोला –‘दौड़ तो अभी से आरम्भ मानी जायगी। आपके मनमें आवे तब चलें। 

खरगोश ने कछुए की बात मान ली।  कछुआ धीरे -धीरे रेंगता हुआ चल पड़ा।  खरगोश ने सोचा –‘यह तो बहुत देर में पेड़ तक पहुंचेगा। तब तक मैं आराम कर लूँ।’ वह वहीं लेट गया और सो गया।  नींद आ जानेपर उसे पता ही नहीं लगा कि  कितनी देर पड़ा – पड़ा सोता रहा। जब उसकी नींद टूटी और दौड़ता हुआ पेड़ के पास पहुँचा तो देखता है कि कछुआ वहाँ पहले से पहुँच गया है।  खरगोश लज्जित हो गया।  उसने स्वीकार किया कि  घमंड करना बुरा होता है। 

‘घमंडी का सिर नीचा, घमंड करने वाले और काम को टालने वाले सदा असफल और अपमानित होते हैं।  सफलता और सम्मान उनको ही मिलता हैं, जो धैर्य पूर्वक काम में लगे रहते हैं। 

Kids Moral Stories In Hindi

कुत्ते की भूल 

एक कुत्ते को पक्षियों के अंडे खा जाने का अभ्यास हो गया। वह खेत की मेड़ों और नदी के किनारे घुमा करता और टिटिहरी के अंडे देखते ही खा जाया करता था। नदी – किनारे की रेत में वह कछुए के अंडे ढूँढा करता था। 

एक दिन रेत में एक घोंघा कुत्ते ने देखा।  उसे भी कोई अंडा समझकर वह झटपट निगल गया।  घोंघे की सीप के टुकड़े कुत्ते के पेट में जाकर उसकी आँतों में चुभने लगे। वह दर्द के मारे छटपटाने लगा। अब वह रोता – रोता  कहने लगा –‘मुझसे बड़ी भूल हुई। अब मैं समझा कि सब गोल  वस्तुएँ अंडा नहीं होतीं।’

जो नासमझ लड़के बिना जाने कोई भी वस्तु मुँह में डाल लेते हैं, उन्हें इसी प्रकार कष्ट होता है। इसलिये जबतक यह न जान लो कि कोई वस्तु खाने योग्य है या नहीं, उसे मुख में मत डालो। 

Kids Moral Stories In Hindi

सच्चे हिरन 

पुराण में एक बहुत सुन्दर कथा आती है। एक जंगल में एक तालाब था। उस जंगल के पशु उसी तालाब में पानी पिने आया करते थे।  एक दिन एक शिकारी उस तालाब के पास आया। उसने तालाब में हाथ – मुँह धोकर पानी पिया।  शिकारी बहुत थका था और कई दिन का भूखा था। उसने सोचा –‘जंगल के पशु इस तालाब के पास पानी पीने अवश्य आयेंगे। यहाँ मुझे सरलता से शिकार मिल जाएगा।’ तालाब के पास एक बेल के पेड़पर चढ़कर वह बैठ गया। 

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एक हिरनी थोड़ी देर में तालाब में पानी पिने आयी।  शिकारी ने हिरनी को मारने के लिए धनुष पर बाण चढ़ाया।  हिरनी ने शिकारी को बाण चढ़ाते देख लिया। वह बोली –भाई शिकारी ! मैं जानती हूँ कि  अब मैं भागकर तुम्हारे बाण से नहीं सकती; किन्तु तुम मुझ पर दया करो।  मेरे दो छोटे –  छोटे बच्चे मेरा रास्ता देखते होंगे।  तुम मुझे थोड़ी देर की छुट्टी दे दो।  मैं तुम्हें वचन देती हूँ कि  अपने बच्चों को दूध पिलाकर और उन्हें अपनी सहेली हिरनी को सौंपकर तुम्हारे पास लौट आऊँगी।’

शिकारी हँसा। उसे यह विश्वास नहीं हुआ कि यह हिरनी प्राण देने फिर उसके पास लौटेगी।  लेकिन उसने सोचा – ‘जब यह इस प्रकार कहती है तो इसे छोड़ देना चाहिये। मेरे भाग्य में होगा तो मुझे दूसरा शिकार मिल जायगा।’ उसने हिरनी को चले जाने दिया। 

थोड़ी देर में वहाँ बड़ी सींगो वाला सुन्दर काला हिरन पानी पिने आया।  शिकारी ने जब उसे मारने के लिए धनुष बाण चढ़ाया तो हिरन ने देख लिया और बोला –‘भाई शिकारी ! अपनी हिरनी और बच्चों से अलग हुए मुझे देर हो गयी है। वे सब घबरा रहे होंगे।  मैं उनके पास जाकर उनसे मिल लूँ और उन्हें समझा दूँ, तब तुम्हारे पास अवश्य आऊँगा।  इस समय दया करके तुम मुझे चले जाने दो।’

शिकारी बहुत झल्लाया। उसे बहुत भूख लगी थी।  लेकिन हिरन को उसने यह सोचकर चले  जाने दिया कि मेरे भाग्य में भूखा ही रहना होगा तो आज और भूखा रहूँगा। 

हिरनी अपने बच्चों के पास गयी।  उसने बच्चों को दूध पिलाया, प्यार किया। फिर अपनी सहेली हिरनी को सब बातें बताकर उसने अपने बच्चे सौंपने चाहे।  इतने में वहाँ वह हिरन भी आ गया। उसने भी बच्चों को प्यार किया।  बच्चे अपने माता – पिता से अलग होने को तैयार नहीं होते थे।  अंत में उनका हठ मानकर हिरन और हिरनी  ने उन्हें भी साथ ले लिया। 

तालाब के पास आकर हिरन ने शिकारी से कहा –‘भाई शिकारी ! अब हमलोग आ गए हैं।  तुम अब हमें अपने बाणों से मारो और हमारे मांस से अपनी भूख मिटाओ।’

हिरन और हिरनी की सच्चाई देखकर शिकारी को बड़ा आश्चर्य हुआ।  वह पेड़ पर से नीचे उतर आया और बोला –देखो ! ये हिरन पशु होकर भी अपनी बात के कितने सच्चे हैं।  ये प्राण का मोह छोड़कर सत्य की रक्षा के लिए मेरे पास आये हैं।  मनुष्य होकर भी मैं कितना नीच और पापी हूँ कि अपना पेट भरने और चार पैसे कमाने के लिए निरपराध पशुओं की हत्या करता हूँ। अबसे मैं किसी पशु को नहीं मरूँगा।’

शिकारी ने अपना धनुष तोड़कर फेंक दिया। उसी समय वहाँ स्वर्ग से एक विमान उतरा। उस विमान को लानेवाले देवदूत ने कहा –‘शिकारी ! ये हिरन सत्य की रक्षा करने के कारण निष्पाप हो गये हैं, ये अब स्वर्ग को जायेंगे।  तुमने भी आज इन जीवों पर दया की, इसलिए तुम भी इनके साथ स्वर्ग चलो। 

हिरन – हिरनी और उनके दोनों बच्चों का रूप देवताओं के सामान हो गया।  वह शिकारी भी देवता बन गया।  सत्य और दया के प्रभाव से विमान में बैठे कर वे सब स्वर्ग चले गये। 

Kids Moral Stories In Hindi

आशा करते हैं कि आपको ये ज्ञान से भरी कहानियाँ पसंद आयी होंगी। इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें Thank You !

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