Memory Kya Hai ? मैमोरी क्या है?/मैमोरी कितने प्रकार की होती है? RAM/ROM क्या होती है ?
मेमोरी
यह Computer की स्टोरेज यूनिट है। यह कम्प्यूटर का महत्वपूर्ण हिस्सा होती है। इसमें हम डाटा प्रोग्राम आदि को स्टोर करके रख सकते हैं। इसको नापने की साइज के आधार पर कई यूनिट है। जैसे- बाईट, किलाबाईट, मेगाबाईट, गीगाबाईट, एवं टेराबाईट इसमें सबसे छोटी यूनिट बाईट एवं सबसे बड़ी यूनिट टेराबाईट होती है।
यह दो प्रकार की होती है।
- Primary Memory
- Secondary Memory
1 :- Primary Memory :- इस मैमोरी को Main Memory भी कहा जाता है। यह दो प्रकार की होती है।
- RAM
- ROM
A. :- RAM – इस का पूरा नाम Randam Access Memory होता है। इसकी निम्न विशेषताएँ होती हैं।
- इसको कम्प्यूटर की प्रमुख मैमोरी कहा जाता है।
- यह अस्थाई मैमोरी होती है। अर्थात इसमें स्टोर डाटा कम्प्यूटर बंद होने पर डिलीट हो जाता है। जिसको पुनः प्राप्त नहीं किया जा सकता है।
- या Volatile Memory कहलाती है।
- यह एक Semiconditor or Filp Flop से मिलकर बनी Memory होती है।
- यह निम्न प्रकार की होती है। जैसे SRAM, DRAM, SD RAM etc.
RAM के प्रकार
- SRAM
- DRAM
- SD RAM
- NV RAM
- SRAM :– इसका पूरा नाम Staic Randam Access Memory होता है। यह Flip Flop से मिलकर बनी होती है। इसलिए यह कम Refresh होती है।
- DRAM :– इसका पूरा नाम Dyanamic Randam Access Memory होता है। यह मैमोरी जल्दी-जल्दी Refresh होती है। Refresh से मतलब Electronic Charge or Discharge से होता है। यह एक सेकेण्ड में हजारों बार Refresh होती है। अतः इसकी गति धीमी होती है। यह अन्य रेम की अपेक्षा सस्ती होती है।
- SD RAM :– इसका पूरा नाम Synchoronous Dyanamic Randam Access Memory है।
- NV RAM :– इसका पूरा नाम Non Volatile Randam Access Memory है। इस रेम का प्रयोग नेटवर्क डिवाइस में हार्डडिस्क के रूप में किया जाता है। यह एक महंगी मैमोरी होती है।
Memory Kya Hai ? मैमोरी क्या है?
B :- ROM – इसका पूरा नाम Read Only Memory है। यह कम्प्यूटर की Primary Memory होती है। यह स्थाई मैमोरी होती है। इसमें कम्प्यूटर को start करने वाले प्राथमिक प्रोग्राम एवं सेटिंग होती है। यह तीन प्रकार की होती है।
ROM के प्रकार
- PROM
- EPROM
- EEPROM
- PROM :– इसका पूरा नाम Programble Read Only Memory है। इस चिप में एक बार प्रोग्राम स्टोर किया जा सकता था लेकिन कोई त्रुटि(Error ) होने पर उसमें कोई सुधार नहीं किया जा सकता था।
- EPROM :– इसका पूरा नाम Erasable Programmable Read Only Memory होता है। इस चिप में स्टोर प्रोग्राम में सुधार किया जा सकता था। चिप में सुधार करने के लिए चिप को बोर्ड से निकाल कर पराबैगनी ( Ultraviolet Ray ) के सामने रखा जाता था।
- EEPROM :– इसका पूरा नाम Electronic Erasable Programmable Read Only Memory है। इस चिप ने EPROM की समस्या को दूर किया है। इस चिप में स्टोर प्रोग्राम एवं डाटा में सुधार करने के लिये विधुत का प्रयोग किया गया था। आजकल के मदरबोर्ड में इसी रोम का प्रयोग किया जा रहा है।
2 ;- Secondary Memory – Secondary Storage Device को Auxiliary Storage Device भी कहा जाता है। यह कम्प्यूटर का भाग नहीं होती है। इसकी स्टोरेज क्षमता अधिक होती है। एवं डाटा को एक्सेस करने कि गति Primary Memory से धीमी होती है।
यह डाटा को एक्सेस करने के आधार पर तीन प्रकार की होती है।
- Sequential Access Storage Device :– इस क्रिया में Storage Data को उसी क्रम में एक्सेस किया जाता है जिस क्रम में स्टोर किया जाता है। चुम्बकीय टेप इसी का उदाहरण है।
- Index Sequential Access Method :– इसमें डाटा को Sequential Access Method से ही डाटा को एक्सेस किया जाता है। लेकिन इसमें डाटा को स्टोर करते समय एक इंडेक्स तैयार कर लिया जाता है।
- Direct Access Method :– इसमें डाटा को किसी भी क्रम में एक्सेस किया जा सकता है। एवं किसी भी क्रम में डाटा को स्टोर किया जा सकता है। इसकी एक्सेस गति सीरियल एक्सेस की तुलना में अधिक होती है।
Storage डिवाइस के प्रकार
- Magnetic Tape :– Magnetic Tape एक स्थाई द्वित्तीयक स्टोरेज डिवाइस है। इसमें एक प्लास्टिक के टेप पर चुम्बकीय पदार्थ Magnetic Oxide का लेपन रहता है।
- Cartridge Tape:– इस टेप की चौड़ाई चुम्बकीय टेप से कम होती है। 1970 के दशक के अंत में घरेलू कम्प्यूटरों में कॉम्पेक्ट कैसेट का प्रयोग किया जाता था।
- Magnetic Disk:– आजकल डाटा को स्टोर करने के लिए कम्प्यूटरों में चुम्बकीय डिस्क का प्रयोग किया जा रहा है। चुम्बकीय डिस्क दो प्रकार की होती है।
चुम्बकीय डिस्क के प्रकार
1 :- Hard Disk
2 :- Floppy Disk
1 :- हार्ड डिस्क :– हार्ड डिस्क का विकास कम्प्यूटर में डाटा को स्टोर करने के लिए किया गया था आज कल इसका प्रयोग कम्प्यूटर से आगे बढ़कर कई क्षेत्रों में हो रहा है।
डिस्क की प्लेट में Track and Sector होते हैं। सेक्टर में डाटा स्टोर होता है। एक सेक्टर में 512 बाइट डाटा स्टोर होता है।
डाटा को स्टोर एवं पढ़ने के लिए तीन तरह के समय लगते है। जो निम्न है।
- Seek Time :- डिस्क में डाटा को Read या Write करने वाले Track तक पहुंच में लगा समय seek time कहलाता है।
- Letancy Time :– Track में डाटा के Sector तक पहुंच में लगा समय Letancy Time कहलाता है।
- Transfer Rate :– Sector में डाटा को लिखने एवं पढ़ने में जो समय लगता है। उसे Transfer Rate कहा जाता है।
Memory Kya Hai ? मैमोरी क्या है?
2 :- फ्लॉपी डिस्क :– फ्लॉपी डिस्क के डिक्केट या केवल फ्लॉपी भी कहा जाता है। इसका प्रयोग माइक्रो कम्प्यूटर में होता है। यह आकार एवं साइज के आधार पर दो प्रकार की होती है।
- Mini Floppy :- यह आकार में 51/4 इंच की होती है, संग्रहण क्षमता 1.2 MB होती है। इनकी Drive भी आकार में इसी के आकार की होती है।
- Micro Floppy :– यह आकार में 31/4 इंच की होती है। इनकी संग्रहण क्षमता 1.4 MB होती है।
ऑप्टिकल डिस्क :– ऑप्टिकल डिस्क वे डिस्क होती है। जिसमें डाटा को Read और Store करने के लिये लाइट का प्रयोग किया जाता है ऑप्टिकल डिस्क कहलाती है। इस डिस्क में एक रासायनिक पदार्थ का लेप रहता है। जैसे सीडी, डीवीडी आदि
ये भी पढ़ें
कम्प्यूटर क्या है ?