जंगल में एक गीदङ रहता था। वह बड़ा कंजूस था। क्योंकि वह एक जंगली जीव था इसलिए हम रूपए-पैसों की कंजूसी की बात नहीं कर रहे।
वह कंजूसी अपने शिकार को खाने में करता। जितने शिकार से दूसरा गीदङ दो दिन काम चलाता, वह उतने ही शिकार को सात दिन तक खींचता।
जैसे उसने एक खरगोश का शिकार किया। पहले दिन वह एक ही कान खाता।
बाकी बचाकर रखता। दूसरे दिन दूसरा कान खाता। ठीक वैसे जैसे कंजूस व्यक्ति पैसा घिस-घिसकर खर्च करता है। गीदड़ अपने पेट की कंजूसी करता।