आचार्य चाणक्य ने बताये जानवरों के ये गुण
शेर से एक, बगुले से चार, कौए से पांच, कुत्ते से छः और बाघ से तीन गुण सीखने चाहिए।
काम भले ही थोड़ा करो,, किन्तु मन लगाकर करना चाहिए। इंसान को यह शेर से सीखना चाहिए।
मित्रों की इन्द्रियों का संयम करना, समय के अनुसार अपनी शक्ति से काम करने का गुण बगुले से सीखना चाहिए।
ठीक समय से जागना, सोना, लड़ना, बन्धुओं को जगा देना,झटपट भोजन खाना, यह गुण मुर्गे से सीखना चाहिए।
संकोच से मैथुन करना, ;समय-समय पर संग्रह करना, चौकस रहना, पर विश्वास न करना, यह पांचों गुण कौए से सीखने चाहिए।
बहुत भूख में भी संतुष्ट रहना, गहरी नींद में सोते हुए भी जाग जाना, मालिक की वफादारी और बहादुरी, यह सब गुण कुत्ते से सीखने चाहिए।
बहुत थक जाने पर भी बोझ ढोते रहना, रूखी-सुखी घास चर कर ही मालिक और भगवान का धन्यवाद करना, यह सब गुण गधे से सीखने चाहिए।
इन सभी गुणों को अपने ऊपर धारण करने वाला व्यक्ति सदा सुख पाता है।
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