चाणक्य जी  के  अनमोल विचार 

पत्नी की मृत्यु का दुःख,  निकटतम रिश्तेदार द्वारा दिया दुःख,  कर्ज का लोभ, बुरे राजा की सेवा,  इन दुःखों से प्राणी का शरीर अपने आप ही जल जाता है।

सदा दूसरों का भला करो। स्वार्थ दूर रहो। दूसरों का भला करने वालों का भला स्वयं भगवान करते हैं। ऐसे लोगों के सुख-दुःख के साथ भगवान होते है।

अंधाधुंध खर्च करने वाले, जो अपनी आमदानी से अधिक खर्च करते है और दूसरों से बेमतलब झगड़ा करने वाले लोग भी सुखी नहीं रह सकते।

इस संसार में यदि आप किसी चीज पर सम्पूर्ण रूप से विश्वास कर सकते हैं तो केवल आपका मन है। जो  लोग अपने मन की आवाज सुनकर चलते हैं वे सदा सुखी रहते हैं।

कठिन काम पड़ने पर सेवक की, संकट के समय भाई बन्धु की, आपत्ति काल में मित्र की तथा धन के नाश हो जाने स्त्री की परीक्षा होती है।

अनाज से दस गुना आटे में, आटे से दस गुना दूध में, दूध से आठ गुना मांस में, और मांस से दस गुना शक्ति घी में होती है।"

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