चतुर बनियाकी अनोखी कहानी

एक बनिया था। वह बहुत कंजूस था। वह कभी दान नहीं करता था।  गरीबों की कमाई से अपनी तिजोरी भरता था।

उसने मरते वाक्य एक बूढ़ी गाय जो आजकल में मरने वाली थी।  एक ब्राह्मण को दान करदी।  बनियाँ मर गया तथा ब्राह्मण के घर पहुँचते ही वह गाय भी मर गई।

यमराज के यहाँ यमलोक में दरबार लगा।  यमराज ने कहा। इस बनिये ने कभी दान धर्म नहीं किया।

यह गरीबों के जीवन भर की कमाई से अपनी तिजोरी भरता रहा है। इसे नरक में भेजना चाहिए।

किन्तु इसने मरते वक्त एक बूढ़ी गाय का दान किया था।  सो इसे एक दिन रात बैकुण्ठ का सुख दे देते हैं।  यमराज ने बनिये से पूछा कि  पहले नरक भोगोगे या बैकुण्ठ का सुख।