दूर घाटी के दक्षिण में मजारा नाम का एक गाँव है। वहाँ के बासमती चावल विश्व भर में प्रसिद्ध हैं। वहाँ छंगू नाम का एक चरवाहा अपनी बूढ़ी माँ के साथ झोपड़ी में रहता था।
उसकी माँ गाँव के जमींदार के खलिहान का काम करती थी। रोज सुबह माँ दो रोटी और सब्जी बाँधकर छंगू को दे देती।
छंगू सुबह अपने घर से निकल पड़ता। फिर अड़ोस – पड़ोस के दो – तीन गाँवों से गायें इकट्ठी करता। उन्हें जंगल में चरने को हांक देता।