शरीर एक अनमोल रत्न
स्वामी विवेकानंद के जीवन की कहानी
एक समय भ्रमण करते हुए स्वामीजी एक उद्यान में पहुँचे।
वहां एक फकीर रहता था, जिसके दोनों बाजू नहीं थे।
उद्यान में मच्छर बहुत होते थे। स्वामीजी ने पूछा
भाई, पैसे तो माँग लेते हो। लोग तुम्हारे इस प्याले में फेंक देते हैं
परन्तु रोटी कैसे खाते हो ?”
वह बोला,”जब पैसे इकट्ठे हो जाते हैं, शाम हो जाती है
तो वह जो सामने नानबाई की दुकान है न
इस कहानी को पूरा जरूर पढ़िये आपको कुछ न कुछ जरूर सीख मिलेगी।
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