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चारों ओर सुन्दर वन में उदासी छाई हुई थी। वन को अज्ञात बीमारी ने घेर लिया था। वन के लगभग सभी जानवर इस बीमारी के कारण अपने परिवार का कोई न कोई सदस्य गवाँ चुके थे।

बीमारी से मुकाबला करने के लिए सुन्दर वन के राजा शेर सिंह ने एक बैठक बुलाई।

बैठक का नेतृत्व खुद शेर सिंह ने किया।  बैठक में गज्जू हाथी, लंबू जिराफ, अकड़ू सांप, चिंपू बन्दर, गिलू गिलहरी, कीनू खरगोश सहित सभी जंगलवासियों ने हिस्सा लिया।

जब सभी जानवर इकट्ठे हो गए, तो शेर सिंह एक ऊँचे पत्थर पर बैठ गया और जंगलवासियों को संबोधित करते हुए कहने लगा,”भाइयों, वन में बीमारी फैलने के कारण हम अपने कई साथियों को गवाँ चुके हैं।

इसलिए हमें इस बीमारी से बचने के लिए वन में एक अस्पताल खोलना चाहिए, ताकि जंगल  में ही बीमार जानवरों का इलाज किया जा सके।’

इस पर जंगलवासियों ने एतराज जताते हुए पूछा कि अस्पताल के लिए पैसा कहाँ से आएगा और अस्पताल में काम करने के लिए डॉक्टरों की जरूरत भी तो पड़ेगी ?  इस पर शेर सिंह ने कहा, यह पैसा हम सभी मिलकर इकठ्ठा करेंगे।

यह सुनकर कीनू खरगोश खड़ा हो गया और बोला,”महाराज! मेरे दो मित्र चंपकवन के अस्पताल में डॉक्टर हैं।  मैं उन्हें अपने अस्पताल में ले आऊंगा।”

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