अब जो भी कोई काम करो, उसे दिलों जान लगाकर करो।

असली ज्ञान वह है, जब इंसान को खुद के ज्ञान की सीमाओं का पता लग जाता है।

एक बुद्धिमान व्यक्ति अपने निर्णय खुद लेता है जबकि मुर्ख, लोगों के अनुसार अपने निर्णय लेते हैं।

वह व्यक्ति जो दो रास्तों पर एक साथ चलना चाहता है, उसे कभी अपनी मंजिल नहीं मिलती।

जब कोई व्यक्ति किसी यात्रा से लौटता है, तो वह पहले से बदला हुआ इंसान होता है।

आपका गुरु आपके लिए दरवाजा खोल सकता है, लेकिन उसके अंदर प्रवेश आपको खुद ही करना पड़ेगा।

केवल उसी काम पर ध्यान  दो, जो कि वाकई में किया जाना चाहिए।

आप कदम-दर-कदम  चलते हुए ही सफलता को हासिल कर सकते हैं।  एक ही बार में आप मंजिल को नहीं पा सकते।

इंसान के लालच की कोई सीमा नहीं है। बिल्कुल वैसे ही जैसे कोई सांप हाथी को निगलना चाहता है।

बहुत अधिक तेजी से चलने के बजाय, काम को निरंतर और दृढ़तापूर्वक करें।