चाणक्य नीति 

दुश्मन की शरण में जाने से धन मिले। ऐसे धन से आदमी निर्धन अच्छा, ऐसे जीवन से मौत अच्छी।

जो ज्ञान देता है, वह गुरु है भले ही गुरु से मात्र एक अक्षर ही प्राप्त किया हो।  फिर भी वह गुरु है।

धर्म, धन, अन्न, गुरु का ज्ञान, दवाइयाँ आदि का सदा संग्रह करके रखना चाहिए। ऐसी सब चीजें समय आने पर इंसान के काम आती हैं।

शक्तिशाली शत्रु, कमजोर मित्र सदा नुकसान देते हैं। क्योंकि कमजोर मित्र कभी भी विश्वास घात कर सकता है। परन्तु शत्रु से आदमी स्वयं होशियार रहता है।

इस संसार में यदि आप किसी चीज पर सम्पूर्ण रूस से विश्वास कर सकते हैं तो वह केवल आपका मन है। जो लोग अपने मन की आवाज सुनकर चलते हैं वे सदा सुखी रहते हैं।

ऐसी जगह हमेशा रहे शांत

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