स्वामी विवेकानंद के बचपन की अनमोल कहानी
एक दिन स्वामीजी ने एक व्यक्ति को टोकरी में रखकर नीबू बेचते हुए देखा। पीले रंग के रसभरे नीबू थे।
पीले रंग के रसभरे नीबू थे। मुख में पानी आ गया। जिह्वा (जुवान) ने कहा, ‘क्रय कर लो, उनका स्वाद बहुत उत्तम है।’
स्वामीजी थोड़ी देर रुके, फिर आगे बढ़ गए। आगे जाकर जिह्वा फिर मचली, उसने कहा, ‘नीबू अच्छे तो थे, नीबू खाने में हानि क्या है ?’
स्वामीजी उलटे लौट आए, नीबुओं को देखा। वास्तव में वे बहुत उत्तम थे। उन्हें देखकर फिर घर की ओर चल पड़े।
थोड़ी दूर गए तो जिह्वा फिर चिल्ला उठी, ‘नीबू का रस तो बहुत अच्छा है। नीबू तो खाने की चीज है। उसे खाने में पाप क्या है ?”
स्वामी जी
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