आचार्य चाणक्य ने बताये महिलाओं के रहस्य।
औरत कितनी भी बड़ी हो जाए, किन्तु वह अपने को सदा सुन्दर और जवान ही समझती रहती है।
पुरुष की तुलना में नारी का आहार दो गुना, शर्म चार गुनी, साहस छः गुना, और कामवासना आठ गुनी अधिक होती है।
नारी पुरुष की अपेक्षा कहीं अधिक कोमल होती है, किन्तु वह पुरुष से अधिक भोजन करती है।
इसी कारण उसमें वासना की आग पुरुष से अधिक होती है। नारी फल भी है और पत्थर भी।
जो पागल यह समझते हैं कि कोई सुन्दर लड़की उनके प्यार के जाल में फँस गई है।
ऐसे लोग प्रेम जाल में अंधे होकर बन्दर की भाँति उसके इशारों पर नाचा करते हैं।
जो औरत दूसरों से प्यार करती है। दूसरों की ओर देखती है।
उस औरत का प्यार कभी भी धोखा दे सकता है।
ऐसी औरत से सदा दूर रहना चाहिए।
आगे पढ़ें क्या-क्या कहते हैं आचार्य चाणक्य महिलाओं के बारे में।
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