बच्चों की कहानियां हमारे जीवन में जगमगाहट और रंगीनता लाती हैं। ये कहानियां हमें मनोरंजन के साथ-साथ सीख भी प्रदान करती हैं। बच्चों की कहानियां जीवन के महत्वपूर्ण मुद्दों, मूल्यों, नैतिकता और उच्चतम मानवीय गुणों को समझने में मदद करती हैं।
इन कहानियों के माध्यम से बच्चे यह सीखते हैं कि सच्चाई, समय का मूल्य, मित्रता, सहयोग, धैर्य, समस्याओं का सामना करना और सभ्य व्यवहार की महत्वता क्या होती हैं। इन कहानियां सामान्यतः एक परिचित संदर्भ में घटित होती हैं, जहां बच्चों को अपने नयन द्वारा एक विषय को देखने, समझने और उसका सामान्य मूल्यांकन करने की क्षमता विकसित होती हैं।
इन कहानियों के माध्यम से बच्चों की रचनात्मकता, विचारशक्ति और अध्ययन कौशल को भी प्रोत्साहित किया जाता हैं। बच्चों की कहानियां उनकी प्रेरणा, अभिरूचि और सोच को आगे बढ़ाती हैं और उन्हें एक पोशाक में एक अद्वितीय दुनिया के साथ जोड़ती हैं।
बंदर और मगरमच्छ की कहानी
बहुत समय पहले की बात है, एक जंगल में एक बंदर और एक मगरमच्छ दोस्त रहते थे। वे एक दूसरे के साथ बहुत खुश थे और हर दिन साथ खेलते और मस्ती करते थे।
एक दिन गर्मी के कारण जंगल में पानी की कमी हो गई। सभी जानवर प्यासे हो रहे थे और पानी के लिए परेशान थे। बंदर और मगरमच्छ भी पानी के लिए तरस रहे थे।
उन्होंने सोचा कि कहीं आस-पास ही कोई स्थान हो सकता है जहां पानी हो सकता है। वे एक सुनसान जगह की तलाश में निकले।
थोड़ी दूरी चलने के बाद, वे एक खाई के पास पहुंचे जहां थोड़ा सा पानी था। बंदर ने आगे बढ़कर देखा कि पानी बहुत गहरा हो गया है और वहां से वापस नहीं आ सकते हैं। मगरमच्छ दरवाज़ा तक पहुंचा और देखा कि वह खुला है।
बंदर ने मगरमच्छ से कहा, “मेरे पास अभी तक पानी नहीं पहुंचा है। तू अपना जुबान के द्वारा पानी जमा करके मुझे ऊपर ले जा सकता है?”
मगरमच्छ ने हँसते हुए कहा, “तू जो चाहता है वह कर सकता हूँ, लेकिन एक शर्त पर।”
बंदर ने उससे पूछा, “कौन सी शर्त है?”
मगरमच्छ ने कहा, “जब तू मुझे ऊपर ले जाएगा, तब तू ध्यान से अपनी देखभाल करेगा। मेरी सहायता करेगा, और मुझे नीचे ले आएगा।”
बंदर ने वादा किया कि वह सहायता करेगा। मगरमच्छ ने अपनी जुबान के द्वारा पानी जमा किया और बंदर ऊपर उठ गया।
ऊपर जाते समय, बंदर ने अपनी देखभाल की और मगरमच्छ को ध्यान से नीचे ले आया। सबको खुशी हुई और सबने साथ में पानी पीने का मज़ा लिया।
इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है कि सच्ची मित्रता कोई भी परेशानी को पार कर सकती है और सहयोग और सहायता का महत्व हमेशा रहता है।
दो छोटे बच्चों की कहानी
एक समय की बात है, एक छोटे से गांव में दो छोटे बच्चे रहते थे। उनके नाम राजू और सीमा थे। राजू और सीमा दोस्त थे और हर रोज़ साथ में खेलने जाते थे।
एक दिन, वे दोनों खेलते-खेलते एक जंगल में पहुंच गए। वहां वे एक बड़े पेड़ के पास खेल रहे थे। तभी राजू ने एक गुब्बारे को पेड़ के ऊपर उड़ाने की कोशिश की। लेकिन गुब्बारा ऊपर नहीं जा रहा था।
राजू कहने लगा, “देखो, मेरा गुब्बारा पेड़ के ऊपर क्यों नहीं जा रहा है?” सीमा हँसी आई और बोली, “मुझे लगता है राजू, तू गुब्बारे को सही तरीके से उड़ाने के लिए हवा में दौड़ना होगा।”
राजू ने सोचा और फिर एक नया प्रयास किया। वह गुब्बारे को ऊपर उड़ाने के लिए तेज़ हवा में दौड़ा और गुब्बारा पेड़ के ऊपर उड़ गया। राजू खुशी से झूम उठा और कहा, “देखो, मैंने गुब्बारे को ऊपर उड़ाने के लिए सही तरीके से किया।”
सीमा बड़ी खुशी से बोली, “तुम ने सचमुच एक अच्छा काम किया, राजू। हमें कभी-कभी समस्याओं का सामना करना पड़ता है, लेकिन हमें हार नहीं माननी चाहिए। हमें प्रयास करना चाहिए और समस्याओं का सामना करना चाहिए।”
राजू और सीमा अब और भी अच्छे दोस्त बन गए और उन्होंने समस्याओं का सामना करने की कला सीख ली। वे जीवन में आने वाली हर समस्या का सामना करने के लिए तैयार रहते थे और एक दूसरे का सहारा देते थे।
यह छोटी-छोटी कहानी दिखाती है कि हमें कभी-कभी मुश्किल स्थितियों का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन हमें हार नहीं माननी चाहिए। हमें अपने प्रयासों से समस्याओं को निपटाने की कोशिश करनी चाहिए और दूसरों का सहारा लेना चाहिए।
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स्कूली बच्चों की कहानी
एक बार की बात है, एक छोटे से शहर में एक स्कूल था। वहां अनेक छोटे-छोटे बच्चे पढ़ाई करने आते थे। इन बच्चों में रवि, आयुष, और नीता भी शामिल थे।
रवि एक बहुत ही समझदार बच्चा था। वह हमेशा स्कूल में पढ़ाई में दिलचस्पी रखता था और अपने अध्यापकों से सवाल पूछने से नहीं घबराता था।
एक दिन, रवि अपनी गणित की किताब भूल गया। वह बहुत परेशान हो गया क्योंकि गणित का पाठ आज ही था और उसे कोई समय भी नहीं था कि उसके घर जाकर किताब ले आए।
रवि ने आयुष और नीता के पास जाकर उनसे सहायता मांगने का फैसला किया। वे दोनों बच्चे तत्परता से सुने और तुरंत रवि की मदद करने के लिए तैयार हो गए।
आयुष ने अपनी किताब उठाई और रवि को उसकी जरूरत पूरी की। उसके बाद, नीता ने रवि को अपने नोटबुक में गणितीय सवालों के हल दिए।
इस तरह, तीनों बच्चे मिलकर एक-दूसरे की मदद करके रवि को समय पर गणित का पाठ पूरा करने में मदद की। रवि खुशी और आभार भरी नजरों से दोस्तों का धन्यवाद करते हुए अपनी पढ़ाई करने लगा।
इस कहानी से हमें यह सिख सकते हैं कि सहयोग और सहयोग बहुत महत्वपूर्ण हैं। हमें दूसरों की मदद करने में नहीं हिचकिचाना चाहिए और हमेशा अपने मित्रों की मदद करने के लिए तत्पर रहना चाहिए।
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