(Abdul Kalam Hindi Essay/APJ Abdul Kalam Hindi Essay/Abdul kalam par Nibandh)
डॉ० ए.पी.जे. अब्दुल कलाम पर निबंध (500 शब्द)
डॉ० अवुल पाकिर जैनुल्लाब्दीन अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर,1931 को तमिलनाडु राज्य के रामेश्वर कस्बे के एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम श्री जैनुल्लाब्दीन था, जो कि पंचायत में प्रधान थे और व्यवसाय से एक मछुआरे थे। इनकी माता का नाम अशी अम्मा था।
मिसाइल मैन के नाम से मशहूर डॉ० ए० पी० जे० अब्दुल कलाम अपने अथक परिश्रम और संघर्ष के बल पर आज विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र में सर्वोच्च पद पर आसीन थे। 25 जुलाई, 2002 को संसद के केंद्रीय कक्ष में देश के मुख्य न्यायधीश ने प्रातः 10 बजे उन्हें देश के बारहवें राष्ट्रपति के रूप में शपथ दिलाई। डॉ० कलाम ने अपने व्यावसायिक जीवन की शुरुआत समाचार-पत्र बेचने से की।
इन्होंने प्राथमिक शिक्षा रामेश्वर के ही प्राथमिक स्कूल से तथा हाई स्कूल तक की शिक्षा रामनाथपुरम में ली। उच्च शिक्षा तथा विज्ञान विषय में परिपक्वता तिरुचिरापल्ली के सेंट जोसफ कॉलेज में 1950 से 1954 तक तथा मद्रास इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में 1954 से 1957 तक प्राप्त की। डॉ० ए० पी० जे० अब्दुल कलाम अंग्रेजी भाषा साहित्य और सैद्धांतिक भौतिकी के प्रकाण्ड विद्वान थे। वे देश के महान वैज्ञानिक तथा तकनीकी विशेषज्ञ थे। उन्होंने 1963 से 1982 तक इसरो (ICRO) संस्थान में भी काम किया था। देश के मिसाइल और रक्षा कार्यक्रम के विकास में भी इन्होंने बहुत बड़ा योगदान दिया है। इन्हीं के नेतृत्व में भारत ने पृथ्वी, त्रिशूल, अक्ष, नाग और अग्नि मिसाइलों का सफल परीक्षण किया है। इन्हीं के कुशल नेतृत्व भारत ने पोखरण में परमाणु परीक्षण किया और वह परमाणु महाशक्ति बन गया।
डॉ० ए० पी० जे० अब्दुल कलाम की इन्हीं महान उपलब्धियों के कारण उन्हें रक्षामंत्री का वैज्ञानिक सलाहकार एवं शोध एवं विकास विभाग का सचिव नियुक्त किया गया। लगभग 30 विश्वविद्यालयों शैक्षणिक संस्थानों द्वारा उन्हें डॉक्ट्रेट की मानद उपाधि से अलंकृत किया गया है। भारत सरकार ने उन्हें 1997 में देश के सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया। इनको अनेक वैज्ञानिक पुरस्कारों के अतिरिक्त 1981 में पद्मभूषण, 1990 में पद्म विभूषण तथा इंदिरा गांधी पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया।
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डॉ० कलाम एक महान वैज्ञानिक होने के साथ – साथ अच्छे इंसान भी थे। राष्ट्रपति होने के बावजूद भी वे अपने शहर से जुड़े रहे और सभी धर्मों के प्रति आस्था तथा सम्मान भाव रखने वाले डॉ० कलाम युवा पीढ़ी के लिए मुख्य प्रेरणा स्रोत हैं, दिन में 18 घण्टे काम करने के बीच वे श्रीमदभगवत गीता पढ़ने तथा वीणा बजाने का भी अभ्यास करते थे।
उन्होंने बहुत सारी प्रेरणादायक किताबें लिखी जैसे “इंडिया 2020, इग्नाइटेड माइन्ड्स, मिशन इंडिया, द ल्यूमिनस स्पार्क, इंस्पायरिंग थॉट्स” आदि। डॉ कलाम ने देश में भ्रष्टाचार को मिटाने के लिये “वॉट कैन आई गिव मूवमेंट” नाम से युवाओं के लिये एक मिशन की शुरुआत की। देश (इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट अहमदाबाद और इंदौर, आदि) के विभिन्न इंस्टीट्यूट और विश्वविद्यालयों में उन्होंने अतिथि प्रोफेसर के रुप में अपनी सेवा दी, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ स्पेस साइंस एण्ड टेक्नोलॉजी तिरुअनन्तपुरम् में चांसलर के रुप में, जेएसएस यूनिवर्सिटी (मैसूर), एयरोस्पेस इंजीनियरिंग ऐट अन्ना यूनिवर्सिटी (चेन्नई) आदि। उन्हें कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों और सम्मान से नवाज़ा गया जैसे पद्म भूषण, पद्म विभूषण, भारत रत्न, इंदिरा गांधी अवार्ड, वीर सावरकर अवार्ड, रामानुजन अवार्ड आदि।
युवा पीढ़ी को सन्देश देते हुए वे कहते थे “हम 150 करोड़ लोगों के राष्ट्र के निवासी है और हमें 150 करोड़ लोगों के राष्ट्र की भाँति ही सोचना चाहिए केवल तभी हम बड़े बन सकते हैं।
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