Chadakya Niti In Hindi चाणक्य जी द्वारा मानव जाति को प्रदान किये अनमोल विचार
हमारा दैनिक जीवन बड़ा विचित्र-सा है। ऐसा प्रतीत होता है कि हम प्रकाश में रहते हुए भी अंधेरों में भटक रहे हैं
इसका कारण केवल हमारी अज्ञानता है।
ज्ञान ही जीवन का पथ प्रदर्शक है, ज्ञान ही प्रकाश है।
ज्ञान से मुक्ति प्राप्त होती है।
चाणक्य जी ने इस संसार को निकट से देखते हुए हमारे जीवन के बारे में बड़ी गम्भीरता से सोचा। इसे हम चाणक्य जी की बहुत बड़ी देन मानते हैं।
Chadakya Niti In Hindi 30 चाणक्य नीति के अनमोल विचार
-(आचार्य चाणक्य)
अब पेश हैं कुछ ज्ञान की बातें
1. बुरे समय के लिए बचत करना जरुरी है यह मत भूलो कि अच्छा समय सदा नहीं रहता है
अँधेरा प्रकाश में बदलता रहता है वैसे ही समय।
लक्ष्मी चंचल और रमणी है। यह एक स्थान पर कभी नहीं रूकती।-(आचार्य चाणक्य)
2. जिस देश में आदर नहीं, जीने के साधन नहीं, विद्या प्राप्त करने के स्थान नहीं।
वहाँ पर रहने का कोई लाभ नहीं क्योंकि वहाँ पर उन्नति नहीं कर सकते।-(आचार्य चाणक्य)
3. जहाँ पर अमीर लोग, वेदों के पाठ करने वाले पण्डित, दयालु राजा न हो,
बीमार होने पर दवा-दारू का प्रबन्ध न हों, वहां पर रहना बेकार हैं।-(आचार्य चाणक्य)
4. मित्रता उस स्थान के लोगों से की जाए जहाँ पर डर, शर्म, चतुरता, त्याग, जैसे आदतें अवश्य हों, अन्यथा उस देश अथवा उन लोगों
के पास रहना भी उचित नहीं होता।-(आचार्य चाणक्य)
5. यदि जहर में अमृत मिला हो तो हँसी-ख़ुशी से पी लेना चाहिए।
सोना यदि किसी गन्दी जगह पर पड़ा हो तो उसे उठा लेना चाहिए।
शिक्षा यदि किसी घटिया प्राणी से भी मिले तो लेने में संकोच नहीं करना चाहिए।
यदि किसी दुष्ट वंश में बुद्धिमान कन्या हो तो उससे शादी कर लेनी चाहिए।
गुण ही सबसे बड़ी विशेषता है।-(आचार्य चाणक्य)
6. लड़की की शादी सदा अच्छे घर में करनी चाहिए।
बेटे को शिक्षा अवश्य दिलवानी चाहिए।
शत्रु सदा उलझन में फंसा रहें तो अच्छा होता है।
मित्र को सदा धार्मिक ज्ञान देते रहना उचित है।
समय के अनुसार ही अपने जीवन मार्ग को खोजना चाहिए।-(आचार्य चाणक्य)
7. पागल बुद्धिहीन आदमी से सदा दूर रहें। ऐसे लोग पशु समान होते हैं।
बुरी संगत से दूर रहो, अज्ञानी को पास न आने दो।-(आचार्य चाणक्य)
8. अपने दिल की गुप्त बातें किसी को न बताओ मन का भेद दूसरों को देने वाले लोग सदा ही धोखा कहते हैं।-(आचार्य चाणक्य)
9. परिश्रम करने से इंसान की गरीबी दूर हो जाती है पूजा करने से पाप दूर हो जाते हैं,
जागते आदमी को डर नहीं लगता, यदि दो प्राणी झगड़ पड़े तो उनमें से एक खामोश हो जाए तो झगड़ा मिट जाता है।
जिस जगह झगड़ा हो रहा हो, वहाँ पर कभी भी खड़े नहीं होना चाहिए, कई बार ऐसे झगड़ों में बेगुनाह मारे जाते हैं।
यदि भयंकर अकाल पड़ जाए तो ऐसे अवसर पर किसी बदमाश से ही मित्रता करने में लाभ होता है
क्योंकि बदमाश अपनी ताकत केबल बुते पर कहीं न कहीं से खाना ले आयेगा इस खाने को वह अपने मित्र को भी अवश्य ही खिलाएगा।-(आचार्य चाणक्य)
10. पुत्र, मित्र और परिवार के अन्य लोग अक्सर अपने से दूर हो जाते हैं
अच्छे लोगों के साथ रहने में ही लाभ है। पुत्र वंश का नाम रोशन करते हैं।
हर प्राणी को पहले से ही सोचना चाहिए कि वह कौन सा पाप कर रहा है।-(आचार्य चाणक्य)
Chadakya Niti In Hindi चाणक्य जी द्वारा मानव जाति को प्रदान किये अनमोल विचार
11. पाप और पुण्य में क्या अंतर होता हैं ?
मेरे मित्र कौन हैं, शत्रु कौन हैं ?
मुझे किस कार्य में लाभ हो सकता है किसमें नहीं ?
यहीं सोचकर उसे जीवन का हर पग उठाना चाहिए।-(आचार्य चाणक्य)
12. हर प्राणी को चाहिए कि वह यथार्थ का सहारा ले केवल कल्पना के समय बुरे परिणामों को सोचकर अपना खून न जलाता रहे।
जीवन में किसी भी खतरे को सामने देखकर डरना नहीं चाहिए।-(आचार्य चाणक्य)
13.अमीर आदमी को अच्छा और गुणवान माना जाता है
धन की पूजा सदा से ही होती रही है,
इसलिए धन तो पास होना चाहिए,
धन पास हो तो शत्रु भी मित्र बन जाते हैं।-(आचार्य चाणक्य)
14. शेर से एक, बगुले से चार, कौए से पाँच, कुत्ते से छः, और वाघ से तीन गुण सीखने चाहिए।
काम भले ही थोड़ा करो, किन्तु मन लगाकर करना चाहिए। इंसान को यह शेर से सीखना चाहिए।
मित्रों की इंद्रियों का संयम करना, समय के अनुसार अपनी शक्ति से काम करने का गुण बगुले से सीखना चाहिए।
ठीक समय से जागना, सोचा, लड़ना, बंधुओं को जगा देना, झपटकर भोजन खाना, यह गुण मुर्गे से सीखना चाहिए।
संकोच से मैथुन करना, समय-समय पर संग्रह करना, चौकस रहना, पर विश्वास न करना, यह पांचों गुण कौए से सीखने चाहिए।
बहुत भूख में भी संतुष्ट रहना, गहरी नींद में सोते हुए भी जाग जाना, मालिक की वफादारी और बहादुरी, यह सब गुण कुत्ते से सीखने चाहिए।
बहुत थक जाने पर भी बोझ ढोते रहना,रूखी-सुखी घास चर कर ही मालिक और भगवान् को धन्यवाद करना, यह सब गुण गधे से सीखने चाहिए।
ऊपर वाले गुण सीखने वाला प्राणी सदा सुख पाता है।-(आचार्य चाणक्य)
15. कोई भी काम आरम्भ करने के पश्चात् उससे घबराना नहीं चाहिए,
न ही उसे बीच में छोड़ना चाहिए। काम तो मानव की सबसे बड़ी पूजा का दूसरा नाम हैं।
जो प्राणी मन से अपना काम करते हैं, वे सदा सुखी रहते हैं।-(आचार्य चाणक्य)
16. यदि धन नाश हो जाए, मन की शांति भंग हो जाए
औरत के चरित्रहीन होने का संदेह आग लगा रहा हो,
तो इन सब बातों को बुद्धिमान लोग दूसरों को नहीं बताते।
जो व्यक्ति ऐसा करने की भूल करते हैं उनका लोग मजाक उड़ायेंगे।-(आचार्य चाणक्य)
17. धर्म के लेन-देन और व्यापार के हिसाब। विद्या एवं साहित्य के संग्रह में।
खाने-पीने के व्यवहार में जो लोग संकोच नहीं करते वे सदा सुखी रहते हैं।-(आचार्य चाणक्य)
18. संतोष और धैर्य से जो सुख प्राप्त हो सकता है
वह किसी और चीज से नहीं। संतोष, धैर्य, शांति का मूल है।
धन के लालच में अंधे होकर मन को जो अशांति मिलती है,
कष्ट होते है वे सब धैर्य और शांति से दूर हो जाते हैं।-(आचार्य चाणक्य)
19.पत्नी जैसी भी हो, धन जितना भी हो, भोजन जैसा भी हो,
यह सब यदि समय पर मिल जायें तो सबसे अच्छा है।
यह सब पा लेने के पश्चात् उसे यह नहीं भूलना चाहिए
कि उसका एक और कर्त्तव्य भी है, वह है विद्या प्राप्त करना।-(आचार्य चाणक्य)
20. पहले अपने साधारण शत्रु से अनुकूल व्यवहार करना चाहिए।
भयंकर शत्रु को ताकत से कुचल देना चाहिए।
जिससे अपनी जान को खतरा हो, उसे कभी माफ़ नहीं करना चाहिए।
उसे नष्ट करने में ही लाभ है।-(आचार्य चाणक्य)
Chadakya Niti In Hindi चाणक्य जी द्वारा मानव जाति को प्रदान किये अनमोल विचार
21. बहुत भले बनकर जीवन नहीं काटा जा सकता।
भले ओर सीधे आदमी को हर एक दबा लेता है।
उसकी शराफत और ईमानदारी को लोग पागलपन समझते हैं।
जैसे जंगल में सीधे पेड़ों को पहले काटा जाता है टेढ़े-मेढ़े पेड़ों को लोग कम ही छेड़ते हैं।
इसलिए आप इतने सीधे मत बनिए कि लोग लूट कर ही खा जाएँ।-(आचार्य चाणक्य)
22. हंस केवल वहीं पर रहते हैं, जहाँ पर उन्हें पानी मिलता है।
सरोवर सुख जाने पर वह अपनी जगह बदल देते हैं
किन्तु प्राणी को ऐसा स्वार्थी नहीं होना चाहिए।
उसे बार-बार अपना स्थान नहीं बदलना चाहिए।-(आचार्य चाणक्य)
23. सारी देशी दवाओं में गुर्च श्रेष्ट माना जाता है ?
विश्व के जितने भी सुख है, उनमें सबसे अधिक सुख का साधन भोजन को माना जाता है।-(आचार्य चाणक्य)
24. आँखे प्राणी के लिए सबसे कीमती अंग है।
इनके अंदर मस्तिष्क का निवास होता है,
इसलिए उसकी विशेषता से इंकार नहीं किया जाता।
अपने हाथों से किया काम सबसे श्रेष्ठ होता है।
मनुष्य को अपना हर काम अपने हाथों से करना चाहिए।-(आचार्य चाणक्य)
25. अनाज से दस गुना आटे में,
आटे से दस गुना दूध में,
दूध से आठ गुना मांस में
और माँस से दस गुना शक्ति घी में होती है।-(आचार्य चाणक्य)
26. चिंता करने से रोग बढ़ते है,
दूध पीने से शरीर बढ़ता है,
घी से वीर्य बनता है,
मांस खाने से मांस बढ़ता है।
यह प्रकृति की देन है।-(आचार्य चाणक्य)
27. अपने परिवार के बाकी लोगों के साथ प्यार का व्यवहार करें।
अपने साथ सदा मीठे बोल बोलें,
बदमाशों के साथ कड़ाई से पेश आयें।
भले और विद्वान लोगो से मेल रखे,
जरुरत पड़ने पर औरत से छल करने वाले अंत में कष्ट पाते हैं।-(आचार्य चाणक्य)
28. अंधाधुंध खर्च करने वाले,जो अपनी आमदनी से अधिक खर्च करते हैं
और दूसरों से बेमतलब झगड़ा करने वाले लोग भी सुखी नहीं रह सकते।-(आचार्य चाणक्य)
29. सदा दूसरों का भला करो। स्वार्थ से दूर रहो।
दूसरों का भला करने वालों का भला स्वयं भगवान् करते हैं।
ऐसे लोगों के सुख-दुःख के साथ भगवान् होते हैं।-(आचार्य चाणक्य)
30.जीवन और मृत्यु का चक्र तो सदा से ही चलता रहा है।
आत्मा अमर है वह केवल अपना शरीर बदलती हैं।
मनुष्य का जीवन यही आत्मा है।-(आचार्य चाणक्य)
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