Cricket Essay in Hindi
क्रिकेट पर निबंध
100, 200, 300, 500, 600
(शब्दों में)
क्रिकेट पर निबंध(Cricket Essay in Hindi)
आज का युग में खेल और खिलाडियों की कमी नहीं है। लोग इसके पीछे इतने मतवाले हो गये हैं कि उन्हें समय और पैसे का अन्धाधुन्ध अनुचित प्रयोग नजर नहीं आता। किन्तु क्रिकेट के लिए तो लोग दिवाने होकर घूमते रहते हैं। बच्चे भी हर गली, सड़क पर क्रिकेट खेलते देखे जा सकते हैं।
वैसे विदेशी खेलों में क्रिकेट का महत्त्वपूर्ण स्थान है। यह खेल अब इतना लोकप्रिय हो गया है कि विश्व के चारों ओर इसकी चर्चा है। पहले तो यह केवल मनोरंजन का साधन मात्र था किन्तु डॉ. ग्रेस ने इसमें संशोधन करके इसको वर्तमान रूप दिया।
सर्वप्रथम यह खेल अन्तर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता के रूप में इंग्लैण्ड और आस्ट्रेलिया के बीच शुरू हुआ था। इसके पश्चात् यह सारे विश्व में फ़ैल गया। वर्तमान में इंग्लैण्ड, आस्ट्रेलिया, वेस्टइण्डीज, न्यूजीलैण्ड, भारत, पाकिस्तान और श्रीलंका क्रिकेट खेलने वाले प्रमुख देशों में हैं। आज हमारे देश में तो यह बड़ी उत्सुकता, उत्साह तथा जोश से खेला जाता है।
क्रिकेट खेलने के लिए समतल मैदान की आवश्यकता होती है जिसके बीचोबीच 22 गज के अंतर में 28 इंच ऊँचे डण्डे लगाकर विकेट बनाये जाते हैं। विकेटों के चार फीट दूरी पर एक विकेट मैन की सीमा होती है, जहाँ खड़ा होकर खिलाड़ी खेलता है, ग्यारह खिलाड़ियों के दो दलों में खिलाने वाली टीम का एक सदस्य पूरी शक्ति से गेंद को फेंकता है और विकेटों का रक्षक बैट्समैन पूर्ण शक्ति से गेंद को बैट से मारता है। गेंद दूर जाने पर वह भागकर दूसरी और सीमा पर पहुँच जाय तो एक “रन” गिना जाता है। इसके विपरीत यदि गेंद विकेटों को छू जाय तो दूसरा खिलाड़ी आता है; इस प्रकार खेल जारी रहता है। यदि गेंद निर्धारित सीमा से बाहर हो जाय तो खेलनेवाले खिलाड़ी को दौड़ना नहीं पड़ता और उसे “चार/छः” रन मिल जाते हैं। इस प्रकार जिस पक्ष के “रन” अधिक हो जाते हैं वही पक्ष विजयी हो जाता है।
खेल प्रारम्भ होने पर सफ़ेद कमीज और पैंट पहने हुए दोनों दल के खिलाड़ी हाथों में बल्ला थामे पैरों में विशेष प्रकार का पैड बाँधे हुए मैदान में आते हैं। दल का नायक (कप्तान) प्रत्येक खिलाड़ी को उसकी योग्यता के अनुसार मैदान पर खड़ा करता है। खिलाड़ियों को पूर्ण चतुरता तथा सावधानी से खेलते हुए अधिक संख्या में “रन” बनाना होता है।
बल्लेबाज और विकेटकीपर दस्ताने इस्तेमाल करते हैं। पेट की रक्षा के लिए वे प्रोटेक्टर पहन लेते हैं। उनके जूतों के तल्ले रबर या स्पाइक के बने होते हैं। बल्ला 24 इंच लम्बा और सवा चार इंच चौड़ा होता है तथा गेंद लाल चमड़े की बड़ी होती है जिसका वजन साढ़े पाँच औंस होता है। खेल को नियंत्रित करने के लिए दो अम्पायर (निर्णायक) होते हैं। खेल के लिए निश्चित समय तथा ओवर किये जाते हैं। टेस्ट मैचों में खेल पाँच दिन तक तथा एक दिवसीय मैच प्रायः पाँच घण्टे होता है।
भारत का राष्ट्रीय खेल हॉकी है किन्तु ज क्रिकेट को ही सर्वाधिक महत्त्व दिया जा रहा है। सन 1932 ई० से भारत ने टेस्ट खेलना शुरू किया और क्रिकेट जगत में अपना स्थान बना लिया है। भारत में कुछ महान खिलाड़ी उत्पन्न हुए, जिनका नाम क्रिकेट के इतिहास में सदा चमकता रहेगा। कपिलदेव, किरमानी, गावस्कर, अजहरुद्दीन, सचिन तेंदुलकर, विराट कोहली आदि वर्तमान समय के कीर्तिमान स्थापित करनेवाले खिलाड़ी हैं।
अब महिलाएँ भी क्रिकेट खेल में उत्साहपूर्वक भाग ले रही हैं। उनके लिए सन 1973 ई० में भारतीय महिला क्रिकेट संस्था की स्थापना की गयी थी। ये अन्तर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भी भाग ले रही हैं। इतना ही नहीं, सारे विश्व के क्रिकेट खेलने वाले देशों में पुरुष और महिलाएँ इसमें समान रूप से भाग ले रही हैं।
इस खेल को खेलने के लिए काफी अभ्यास की आवश्यकता होती है। यह खेल बड़ा ही खर्चीला है। इसके साज-सामान पर भी काफी व्यय होता है, अतः यह साधारण जन के खेलने योग्य नहीं है। वास्तव में इसे अमीरों का खेल कहा जा सकता है। किन्तु अब तो यह विद्यालयों में भी बड़े शौक से खेला जा सकता है या खेला जा रहा है।
इतना ही नहीं, आज हर घर, मुहल्ले, नगर आदि में क्रिकेट की धूम मची है। टी०वी०, रेडियो आदि के माध्यम से यह कार्यालयों, रेस्टोरेंटो, होटलों, पान की दुकानों तक में प्रवेश कर गया है और मैच के समय लोग आँख-कान लगाये दिखाई देते हैं। इसकी बढ़ती हुई लोकप्रियता, क्रिकेट के उज्ज्वल भविष्य का स्पष्ट प्रमाण है। इस खेल से मनोरंजन के साथ-साथ हमारी नैतिक, शारीरिक और मानसिक शक्तियों का विकास होता है।
ये भी पढ़ें