Chanakya Niti about Women in hindi/चाणक्य नीति/स्त्रियों के बारे में जान ले ये महत्वपूर्ण 15 बातें/घर की स्त्री कैसी होनी चाहिए/स्त्री विचार/स्त्री के बारे में जानकारी//
एक छोटे से साधारण पहाड़ को ऊँगली पर उठा लेने के कारण ही तो श्री भगवान् को गोवर्धनधारी कहा गया है
किन्तु स्वयं तीनों लोकों को धारण करने वाले श्री भगवान् को वही नारी गोवर्धनधारी को कुचों के अग्रभाग पर धारण करती हैं।
अब आप स्वयं ही सोचिये, कि यदि तीनों लोकों के मालिक को नारी अपने जाल में फांस सकती है,तो साधारण प्राणी को क्या हाल होगा।
नारी ईश्वर से अधिक शक्तिशाली और बोझ उठाने वाली हैं।
मैंने इस संसार के बंधनो से मुक्त होने के लिए न तो भगवान् की पूजा की और न ही औरत के इस कोमल शरीर का आनंद लिया।
मुझे तो ऐसा प्रतीत होता है कि मैंने अपनी माँ की दो हुई जवानी को किसी तेज धार के कुल्हाड़े से काट डाटा।
मनुष्य को इस संसाार में रहकर कुछ न कुछ करते रहना चाहिए। यह माया जाल रूपी दुनिया है। इसलिए अपने आपको पापों से बचाने के लिए, भगवान् की पूजा करनी चाहिए।
यदि आप ऐसा नहीं कर सकते तो नारी से प्रेम करना चाहिए। केवल प्रेम और यौनांगों के आनंद में एक लम्बा फैसला होता है। यदि आप औरत का आनंद लेना चाहते है तो प्यार करना सीखों।
1. जीवन के इस लम्बे सफर में यह सोचकर चलें कि कभी भी आपका बुरा समय आ सकता है,
इसलिए ऐसे समय के लिए थोड़ा बहुत धन अवश्य बचाकर रखना चाहिए।
जब भी कभी इंसान पर बुरा समय आता है तो उसके अपने भी पराए हो जाते हैं।
यदि धन उसके पास हो तो वह इस समय का मुकाबला कर सकता हैं।
नारी और धन दोनों ही कभी भी धोखा दे सकते हैं। इस दोनों के बारे में सदा होशियार रहें।
लड़की यदि अच्छे खानदान की हो भले ही सुन्दर न हो तो भी शादी उसी से करनी चाहिए।
शादी वहीं पर करें जो लोग अपने बराबर के हो।
2. पुरुष की तुलना में नारी का आहार दो गुना, शर्म चार गुनी, साहस छः गुना, और कामवासना आठ गुनी अधिक होती है।
नारी पुरुष की अपेक्षा कहीं अधिक कोमल होती है, किन्तु वह पुरुष से अधिक भोजन करती है।
इसी कारण उसमें वासना की आग पुरुष से अधिक होती है। नारी फल भी है और पत्थर भी।
राजा पत्नी, गुरु पत्नी और सास माता के सामान होती है।
इसलिए इनको बुरी नजर से नहीं देखना चाहिए। इनका माँ के सामान ही आदर करना चाहिए।
ऐसा न करने वाले महापापी कलंकी होते हैं उन लोगों की तो छाया से भी बचना चाहिए।
3. इस संसार में बंधन तो बहुत हैं। किन्तु प्यार से बड़ा बंधन और कोई नहीं।
लकड़ी में सुराख़ करने वाला औजार कमल के फूल में सुराख नहीं कर सकता।
इसी तरह औरत के प्यार करने वाला बंधन अत्यंत शक्तिशाली होता है,
जैसे फूलों का सारा रस चूस लेने वाला भंवरा लकड़ी में सुराख नहीं कर सकता।
वह भंवरा फूलों की पंखड़ियों का हृदय बहुत आराम से चीरकर रस चखने पहुँच जाता है।
क्यों
इसलिए कि उसे वहां पर प्यार मिलता है
इससे यह बात पूर्ण रूप से स्पष्ट हो जाती है कि प्यार से भी इस संसार को जीता जा सकता है।
4. जो पागल यह समझते हैं कि कोई सुन्दर लड़की उनके प्यार के जाल में फँस गई है।
ऐसे लोग प्रेम जाल में अंधे होकर बन्दर की भाँति उसके इशारों पर नाचा करते हैं।
5. जो औरत दूसरों से प्यार करती है। दूसरों की ओर देखती है।
उस औरत का प्यार कभी भी धोखा दे सकता है।
ऐसी औरत से सदा दूर रहना चाहिए।
क्योंकि वे किसी एक ही होकर नहीं रह सकती।
जो नारी अपने पति का कहना नहीं मानती, और फिर व्रत रखती हैं,
ऐसी नारियाँ अपने पति की आयु काम करती हैं, इसलिए ऐसी नारियों को यह सोचना चाहिए
कि उसका यह स्वर्ग केवल पति की सेवा से ही प्राप्त हो सकता है।
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6. झूठ, बेईमानी, धोखा, फरेब, छल कपट और क्रोध यह औरत के सबसे बड़े दोष माने जाते हैं।
यदि कोई नारी इनमें से किसी एक की भी शिकार हो जाती है तो इसमें हैरान होने की कोई बात नहीं।
ऐसा हो जाना स्वाभाविक है।
7. वह नारी उत्तम मानी जाती है जो पवित्र हो, चालाक हो, पतिव्रत हो।
जो अपने पति से प्रेम करती हो, सत्य बोलती हो, ऐसे गुणों वाली जिस घर में भी होगी
वह घर सदा सुख के झूलों से झूलेगा। उस घर में खुशियाँ ही खुशियाँ होंगी।
उसी घर को भाग्यशाली घर कहा जा सकता है।
8. इस संसार का हर प्राणी औरत को पालने की आशा करता है,
यहाँ तक कि बड़े-बड़े विद्वान, महापंडित,ज्ञानी, देवता, आदि यह सब क्यों होता है।
यह आपने कभी सोचा।
इस संसार की सबसे बड़ी शक्ति कौन-सी हैं ?
क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि इस संसार को जीत लेने वाला पुरुष उस शक्ति के आगे ऐसे पिघल जाता है
जैसे आग के सामने मोम।
वह शक्ति-नारी की जवानी और उसकी सुंदरता।
9. अत्यन्त सुन्दर औरत का शरीर क्या है ?
माँस,हाड़ और उसके यौवनांग।
पुरुष इसी में खो जाना चाहता है।
किन्तु सत्य यह है कि।
यही सबसे बड़ा नर्क है। आप इससे जितना भी बचकर रहेंगे, उतना ही लाभ होगा।
10. औरत कितनी भी बड़ी हो जाए, किन्तु वह अपने को सदा सुन्दर और जवान ही समझती रहती है।
उसकी यही इच्छा होती है कि वह सदा जवान रहें ताकि पुरुष उसके पीछे-पीछे घूमता रहे।
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11. औरत के चेहरे की सुन्दरता और उसके शरीर की बनावट पर ही तो पुरुष मरता है।
यही कारण है कि वह एक औरत के साथ रहते हुए भी किसी दूसरी औरत को बुरी नज़रों से देखता है।
12. मासिक धर्म के पश्चात् नारी कुंवारी लड़की जैसी ही पवित्र हो जाती है।
पुरुष को यह सलाह दी जाती है कि वह भूलकर भी मासिक धर्म के दिनों में औरत से सम्भोग न करें।
13. इस दुनिया मैं अधिकतर युद्ध, दुर्घटनाएँ केवल नारी के ही कारण हुई है।
इसीलिए बुद्धिजीवी को यही सलाह दी जाती है कि ये औरत के इस माया जाल से दूर रहें।
14. जो नारी सुबह के समय अपने पति की सेवा, माँ का सम्मान करती है
और दिन में बहन के समान प्यार देती है।
और रात में वेश्या की भाँति,
उसे अपनी शरीर का आनंद दे उसे ही सत्य से अच्छी और गुणवान पत्नी माना जाता है।
15. परिवार के झगड़ों के पीछे अधिकतर हाथ नारी का हो होता है।
इसलिए बुद्धिमान पुरुषों को यह सोच लेना चाहिए कि केवल औरत के पीछे लड़ने-झगड़ने का कोई लाभ नहीं।
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यह थे नारी के बारे में आचार्य चाणक्य जी के विचार।
इन थोड़े से शब्दों में महापंडित चाणक्य ने औरतों के बारे में पूरा ज्ञान दे दिया है।
जैसे किसी ने कूंचे में दरिया को बंद कर दिया हो।
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