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Home >> Kahani Hindi | वाह रे मुल्ला-तेरा जवाब नहीं
कहानियाँ

Kahani Hindi | वाह रे मुल्ला-तेरा जवाब नहीं

By Shivam KasyapFebruary 15, 2023No Comments5 Mins Read
Kahani Hindi
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(Kahani Hindi) वाह रे मुल्ला-तेरा जवाब नहीं……

मुल्ला नसीरुद्दीन को कौन नहीं जानता ? उनके अपने मजाकिया स्वभाव से समझाने की आदत दुनिया में बेमिसाल है।  मुल्ला न तो नमाज अदा करते थे न मस्जिद जाते थे, यह भी आप जानते ही होंगे।  बस इसी कारण मुल्ला को सब नास्तिक व काफिर कहते थे। 

एक दिन उनके मोहल्ले वालों ने सोचा कि  मुल्ला को मस्जिद जाने व नमाज पढ़ने हेतु समझाया जाए।  मोहल्ले में नास्तिक का होना अच्छा नहीं।  सो सबने मिलकर मुल्ला को समझाया।  मुल्ला ने सबकी बात बड़े ध्यान से सुनी। 

 फिर कहा-देखो भाई मैं मस्जिद तो नहीं जा सकता हूँ, पर हाँ तुमलोग इतना फोर्स कर रहे हो तो मैं अल्लाह को दिन में एक बार याद जरूर कर लूंगा।  लेकिन करूँगा अपने वक्त पर तथा अपने तरीके से। 

सबने सोचा, ठीक है।  न करने से तो अच्छा ही है।  उधर मुल्ला ने तो रात के बारह बजे घर की छत पर जाकर चिल्लाना शुरू कर दिया-सुन अल्लाह ! मुझे सौ दीनार भिजवा दे;  उसके बगैर तेरा छुटकारा नहीं।  जबतक तू सौ दीनार नहीं भुजवाता, मैं ऐसे ही रोज रात को नमाज़ पढ़ता रहूँगा। और ध्यान रखना कि  पुरे सौ लूंगा, एक भी कम नहीं लूंगा।

बस इतना चिल्लाकर वह सो गया।  फिर तो यह सिलसिला रोज का हो गया।  रोज रात को वह छत पर जाए और तेज आवाज से बात दोहराए।  बात वही कि सौ दीनार भिजवा, जबतक तू नही भिजवाता तब तक रोज ऐसे ही नमाज़ पढ़ता रहूँगा। 

यह अजब नमाज़ हुई ! और वह भी ऐसी अजब कि मोहल्ले वालों की शामत ही आ गई।  उनकी रातों की नींद हराम हो गई। रोज रात मुल्ला चिल्ला-चिल्लाकर पुरे मोहल्ले को उठा देता था।  और ऊपर से इबादत भी बेतुकी व ऊटपटांग।  

 इससे तो वह नास्तिक ही अच्छा था।  सब मुल्ला को समझकर पछता रहे थे। अपनी भूल सुधारने हेतु उन्होंने मुल्ला को इबादत छोड़ने हेतु भी कहा, परन्तु मुल्ला अडिग था। उसने स्पष्ट कह दिया कि  एकबार शुरू कर दी तो कर दी।  अब तो इसे अल्लाह  ही सौ दीनार देकर छुड़वा सकता है। 

अब अल्लाह क्यों सौ दीनार देने लगा ? तकलीफ में तो बन्दे थे, सो वे ही आगे आए।  सबने मिलकर इस मुसीबत से छुटकारा पाने हेतु एक मीटिंग बुलाई।  सुझाव काफी आए पर उनमें से एक ही प्रैक्टिकल जान पड़ा; 

और वह यह कि  सब मिलकर 99 दीनार एकत्रित करते हैं, और जब मुल्ला रात को चिल्लाना शुरू करे तो वे दीनार पोटली में बांधकर उसकी छत पर फेंक देते हैं।  चूँकि मुल्ला सौ दीनार मांग रहा है, बार-बार कह भी रहा है कि  एक कम नहीं लूंगा; अतः 99 आए देखकर वह ठुकरा देगा। पोटली वापस फेंक देगा।  बस हमें हमारे दीनार भी मिल जाएंगे और मुल्ला से छुटकारा भी। वह समझ जाएगा कि  अल्लाह पुरे सौ दीनार देने को अभी राजी नहीं। 

अब प्लान बन चुका था और इंतजार रात का था।  बस रात को मुल्ला ने जैसे ही चिल्लाना प्रारम्भ किया कि अल्लाह पुरे सौ दीनार लूंगा, एक कम नहीं लूंगा, कि योजनानुसार 99 दीनार से भरी थैली मुल्ला की छत पर फेंक दी गई। मुल्ला तो खुश हो गया।  उसने झट से थैली खोल दीनार गिनने शुरू किए। लेकिन यह क्या, यह तो 99 है।  उसने दो-तीन बार और गिने, पर थे 99 ही।  खैर, कोई बात नहीं …….

उसने दीनार फिर थैली में भरे और थैली हवा में उठाता हुआ बोला-वाह रे अल्लाह, तू भी प्रोफेशनल हो गया है।  एक दीनार थैली से काट ही लिया।  इतना कहते-कहते उसने थैली जाकर आलमारी में रख दी और सो गया। 

उधर मोहल्ले वालों को तो समझ में ही नहीं आया।  यह तो दीनार ही चले गए।  बेचारे सब रातभर जागे। सुबह-सुबह सीधे सबने मिलकर मुल्ला के घर दस्तक दी।  जब 100 मांगे थे तो 99 क्यों रखे उसका सबब भी जानना चाहा। 

मुल्ला ने हँसते हुए कहा इतनी-सी बात से इतना टेंशन में क्यों आ जाते हो ? तुमलोगों के लिए यह बात नहीं कहाँ है ? अच्छा बताओ, तुमलोग अल्लाह को जो भी चढ़ाते हो वह कभी अल्लाह तक पहुँचता है ? उसे मौलवी ही यह कहकर रख लेते हैं न कि तुमलोगों ने अच्छी भावना से नहीं चढ़ाया, इसलिए अल्लाह ने चढ़ावा नहीं स्वीकारा, अतः मज़बूरी में इसे हमें रखना पड़ रहा है।  जब वहां चुप हो जाते हो तो यहां भी चुप हो जाओ।  मैंने भी अल्लाह के प्रोफेशनल हो जाने की आड़ लेकर आपके दीनार रख लिए। 

सार:- अब मोहल्ले वाले समझें न समझें, आप समझ लो कि  आप जो मंदिर, मस्जिद या चर्च में चढ़ाते हैं वह भगवान तक न पहुंचा है न पहुँचनेवाला है।  और फिर वह भगवान् है ही इसलिए की उसे आपसे “सिवाय शुद्ध भावना के ” और कुछ स्वीकार्य ही नहीं है।  सो क्यों अपनी मेहनत की कमाई व्यर्थ लुटा रहे हो ? उससे तो दो-चार  जरूरतमंदों को कुछ दे दो, वादा करता हूँ वह अल्लाह तक पहुँच जाएगा। 

THE END – Kahani Hindi

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