Vikramaditya Story in Hindi
1. बेवकूफ राजकुमार
एक बार राजकुमार ने वचन दिया कि जो व्यक्ति रात के समय मारीचि नदी के तट पर खड़ा होगा, उसे मैं देख लूँगा। राजकुमार ने रात के समय नदी के तट पर खड़ा होने का वचन निभाया और राजमहल में वापस चला गया।
जब वह वापस गया तो उसने देखा कि उसे एक भूलभुलैया में ले जाने की जिद्द कर रहे राजकुमार ने राजा से पूछा कि यह क्या मजाक है? राजा ने कहा कि तुमने मेरा वचन तोड़ा है, इसलिए तुम अब इस भूलभुलैया में फंस गए हो।
2. अदालती वक्तव्य
एक दिन राजकुमार ने एक अदालती मामले के बारे में सवाल किया जिसमें दो व्यक्ति अपराधी ठहराए गए थे। राजा ने कहा कि उन्हें फांसी की सजा दी जाएगी। राजकुमार ने अपील की और अदालती वक्तव्य शुरू हो गए। अदालत ने कहा कि जो पहले बोलेगा वह अपराधी है। राजकुमार ने अपनी निगरानी में बांधे दो अपराधियों से पूछा कि तुम कौनसे
अपराधी हो? पहले अपराधी ने कहा कि मैं नहीं हूँ, दूसरा अपराधी हूँ। दूसरा अपराधी ने कहा कि पहले अपराधी झूल रहा है, मैं ही सच में अपराधी हूँ। राजकुमार ने ध्यान से सुना और दूसरे अपराधी को फांसी की सजा सुनाई।
3. तालाब का रहस्य
राजकुमार ने एक तालाब के पास चलकर बैठने का वचन दिया था। रात को वह तालाब के पास पहुंचा और देखा कि तालाब में दो सांप लड़ रहे थे। एक सांप दूसरे सांप को काटकर मर गया। राजकुमार ने वहां से एक सांप को उठाकर अपने पास ले जाया। सबके सामने उसने सांप को पूछा कि तुम क्यों लड़ रहे थे? सांप ने कहा कि हम अपनी जगह रखने के लिए लड़ रहे थे। राजकुमार ने सांप को छोड़ दिया और कहा कि जगह जीतने के लिए होती है, न कि लड़ाई करने के लिए।
4. विश्वासघाती ब्राह्मण
एक दिन एक ब्राह्मण राजमहल में आया और कहा कि मुझे एक सवाल का उत्तर देना होगा। वह कहा कि तुम मुझसे अगर सही उत्तर देते हो तो मैं तुम्हें धन दूंगा, और अगर गलत उत्तर देते हो तो तुम्हें मुझसे देना होगा।
राजकुमार ने ब्राह्मण से सवाल पूछा कि जब सूरज डूबता है तो क्या होता है? ब्राह्मण ने जवाब दिया कि सूरज डूबने के बाद रात होती है। राजकुमार ने कहा कि तुमने गलत उत्तर दिया है, सूरज डूबने के बाद चाँदनी रात होती है। इस प्रकार, विश्वासघाती ब्राह्मण ने खुद ही अपना धन राजकुमार को सौंप दिया।
Vikramaditya Story in Hindi | सच्चा त्याग
5. सद्भावना की परीक्षा
राजकुमार ने एक दिन अपने राज्य में एक सभा आयोजित की। उन्होंने एक सुनहरी अंगूठी को सभा में गिराकर कहा कि यह अंगूठी उस व्यक्ति की है जिसने सबसे ज्यादा सद्भावना और नेकी की है। सभा में सब लोग अपने आप को अच्छा साबित करने के लिए आगे आए। लेकिन एक संत महात्मा वहां से गुजर रहे थे।
वह अपने छोटे कपड़े और निर्मम व्यवहार के कारण नजर आ रहे थे। राजकुमार ने अंगूठी संत के पास गिराई और कहा कि इस अंगूठी को संत को ही देनी चाहिए क्योंकि वह नेकी और सद्भावना से परे है। सभी चोंक गए और संत ने अपने आचरण को सुधार लिया।
6. अद्भुत रथवान विशेषज्ञ
राजकुमार को एक दिन एक अद्भुत रथ मिला। रथ बहुत ही सुंदर और शानदार था, लेकिन कोई भी इसे ठीक से चला नहीं सकता था। राजकुमार ने इस रथ को चलाने के लिए एक विशेषज्ञ को बुलाया।
विशेषज्ञ ने रथ को देखा और कहा कि इस रथ का सबसे बड़ा रहस्य यह है कि इसे सिर्फ प्रेम से चलाया जा सकता है। राजकुमार ने रथ को प्यार से छूने की कोशिश की और चमत्कारिक रूप से रथ चलने लगा।
7. बेवकूफ चंडाल
राजकुमार ने एक चंडाल से पूछा कि तुम कितनी धनवानी हो? चंडाल ने खुशी से कहा कि मैं बेहद धनवान हूँ, मेरे पास बहुत सोना और चांदी है। राजकुमार ने उसे एक सोने की लकड़ी दी और कहा कि अगर तुम धनवान हो तो इसे चांदी में बदल दो। चंडाल ने खुशी-खुशी लकड़ी को चांदी में बदल दिया। राजकुमार ने फिर से पूछा कि अब तुम कितनी धनवानी हो? चंडाल ने हंसते हुए कहा कि मैं अब धनहीन हो गया हूँ, मेरे पास अब कुछ नहीं है।
8. गुप्त मूर्ख
राजकुमार ने एक गुप्त मूर्ख को एक सवाल पूछा। उन्होंने कहा कि वह उसे सवाल का जवाब देने के बाद उसे धन देगा। राजकुमार ने पूछा कि क्या आप भगवान हो? गुप्त मूर्ख ने जवाब दिया कि नहीं, मैं भगवान नहीं हूँ। तब राजकुमार ने कहा कि मैं तो कह रहा था कि मैं आपको धन दूंगा, लेकिन आपने आपको गुप्त मूर्ख कहकर बता दिया। अब मैं आपको कोई धन नहीं दूंगा।
9. बहुमुखी बूढ़ी
एक बहुमुखी बूढ़ी राजमहल के बाहर खड़ी थी और कह रही थी कि किसी ने उसकी एक पोती को चुरा लिया है। राजकुमार ने पूछा कि उसकी पोती कैसे दिखती है? बूढ़ी ने विभाजित मुखवास करके उसका वर्णन किया। राजकुमार ने बूढ़ी को धन्यवाद कहा और उसे अच्छा दिया, क्योंकि बूढ़ी ने अपने बहुमुखी स्वरूप के कारण उसकी पोती का अस्तित्व स्पष्ट कर दिया।
10. व्यापारी का ईमानदारी का परीक्षण
एक व्यापारी राजकुमार के पास आया और कहा कि उसने एक बड़ा व्यापार किया है और अब वह धनी हो गया है। राजकुमार ने उससे पूछा कि क्या वह ईमानदार है? व्यापारी ने खुशी से कहा कि हाँ, मैं बहुत ईमानदार हूँ। राजकुमार ने व्यापारी के पास एक सिक्का दिया और कहा कि इस सिक्के को तुम अपने व्यापारी दुकान में रखकर उसका ख्याल रखो।
व्यापारी ने सिक्का अपनी दुकान में रख दिया और रोज उसका ख्याल रखा। कुछ समय बाद राजकुमार ने सिक्का वापस मांगा और व्यापारी ने बिना किसी आपत्ति के सिक्का लौटा दिया। राजकुमार ने उसे धन्यवाद कहा और उसे और अधिक धन प्रदान किया, क्योंकि व्यापारी ने अपनी ईमानदारी की परीक्षा पास की।
ये थे 10 छोटी हिंदी में रचित राजा विक्रमादित्य की कहानियां। उम्मीद है यह आपको पसंद आएंगी!
The End – Vikramaditya Story in Hindi
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