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Home»हिन्दी निबन्ध»Essay of Mahatma Gandhi in Hindi महात्मा गाँधी पर निबन्ध
हिन्दी निबन्ध

Essay of Mahatma Gandhi in Hindi महात्मा गाँधी पर निबन्ध

By Shivam KasyapAugust 20, 2021No Comments5 Mins Read
Essay Of  Mahatma Gandhi In Hindi
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Essay Of  Mahatma Gandhi In Hindi | Essay on Mahatma Gandhi In hindi

महात्मा गाँधी पर निबन्ध

आइये आज हम, हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के बारे में जानते हैं, जिन्हें हम सभी प्यार से बापू जी पुकारते हैं। 1920 से 1947 तक की समय अवधि को भारतीय राजनीति में गांधीवाद युग का नाम दिया गया है। तो आज हम इसी गांधीवाद युग को जानेंगे। गाँधी जी से महात्मा गाँधी जी बनने तक के समय को समझेंगे तो चलिये शुरू करते हैं……

प्रस्तावना

महात्मा गाँधी का जन्म 2 अक्टूबर, सन् 1869  ई0 को काठियावाड़ जिले के पोरबन्दर नामक स्थान पर हुआ था। इनका पूरा नाम मोहनदास करमचन्द गाँधी था। उनके पिता का नाम – श्री करमचन्द गाँधी था जो पहले पोरबन्दर के तथा बाद में राजकोट तथा बीकानेर के दीवान रहे।

उनकी माता का नाम-श्री मति पुतलीबाई था जो व्रत, उपवास तथा पूजापाठ में विश्वास रखनेवाली एक धार्मिक महिला थीं।  अपनी माता के प्रभाव से वे बचपन से ही सत्य और अहिंसा  के पुजारी बन गये। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा राजकोट में हुई।

उनका विद्यार्थी जीवन एक साधारण विद्यार्थी की तरह ही रहा। उनका विवाह 13 वर्ष की अल्पायु में कस्तूरबा के साथ हो गया था। सन् 1887 में मैट्रिक की परीक्षा पास करने के बाद वे कानून की शिक्षा प्राप्त करने के लिए इंग्लैण्ड चले गये और वहाँ से तीन वर्ष बाद बैरिस्ट्री की परीक्षा पास करके भारत लौट आये। भारत आकर उन्होंने मुंबई तथा राजकोट में वकालत आरम्भ की किन्तु सत्य के पक्षपाती होने के कारण उनको इसमें सफलता प्राप्त न हो सकी। 

अफ्रीका में कार्य

सन् 1893 ई0 में गाँधी जी पोरबन्दर के एक धनी व्यापारी के मुक़दमे की देख-रेख के लिए अफ्रीका गये। सच्ची लगन तथा कठिन परिश्रम के कारण गाँधी जी इस मुकदमे में सफल रहे। दक्षिणी अफ्रीका में भारतीयों की दयनीय दशा को देखकर गाँधी जी का हृदय रो पड़ा। वहाँ ‘गोर” भारतीयों को “कुली” और गाँधी जी को  “कुली बैरिस्टर” कहकर पुकारते थे।

इन सब अत्याचारों को देखकर गाँधी जी अत्यधिक दुःखी हुए। और सभी भारतीयों को संगठित (एकत्रित) करके “नैटाल कांग्रेस” की स्थापना की तथा एक समाचार-पत्र का प्रकाशन कर “असहयोग आन्दोलन” का श्री गणेश (शुभारंभ) कर दिया। और सन् 1914 ई0 में गाँधी जी भारतीयों का मस्तक ऊँचा करके भारत लौट आये। 

भारतीय स्वतंत्रता प्राप्ति  प्रयत्न 

जब महात्मा गाँधी जी अफ्रीका से लौटे तो इसी समय संसार में प्रथम महायुद्ध चल रहा था। ब्रिटिश सरकार का विश्वास कर गाँधी जी ने ब्रिटिश सरकार को सहायता प्रदान की। गाँधी जी को आशा थी कि भारतीयों की सेवा के बदले ब्रिटिश सरकार भारतीयों को कुछ अधिकार सौंप देगी, किन्तु इसके बदले में ब्रिटिश सरकार ने “रौलेट एक्ट” और जलियांवाला बाग हत्याकाण्ड” दिया।

गाँधी जी इस चोट को सहन न कर सके और उन्होंने देश भर में अहिंसात्मक असहयोग आन्दोलन का शंख बजा दिया। दमन का दौर चला और गाँधी जी तथा असंख्य जनसेवक जेल में डाल दिए गये, जेल से निकलने के बाद सन् 1920 में असहयोग आन्दोलन तथा सन् 1942 में भारत छोड़ो आन्दोलन करके गाँधी जी ने 15 अगस्त, सन् 1947 ई0 को भारत आजाद करा दिया। 

Essay Of  Mahatma Gandhi In Hindi For Students

जीवन-निर्वाण 

30 जनवरी, सन् 1948 ई0 को देहली (दिल्ली) में जब महात्मा गाँधी जी बिड़ला मन्दिर से प्रार्थना स्थल  की ओर आ रहे थे, तब नाथूराम गोड्से ने बंदूक से गोली मारकर गाँधी जी की हत्या कर दी। गाँधी जी की हत्या से सज्जनता चीख उठी, मानवता रो पड़ी और पृथ्वी, जल-स्थल सभी शोक में डूब गये। यद्यपि गाँधी जी अपने भौतिक शरीर से हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन गाँधी जी द्वारा दिए गए उपदेश आज भी हमारे लिए आदर्श हैं। 

सिद्धान्त तथा विशेषताएँ 

गाँधी जी अपनी साधना के कारण साधारण मनुष्य से ऊपर उठ गए थे। वे एक समाज सुधारक, राजनीतिज्ञ और अर्थशास्त्री थे। उन्होंने ‘सादा जीवन उच्च विचार’ का आदर्श प्रस्तुत किया।  जो कुछ कहा वही करके दिखलाया। धर्म से राजनीति को जोड़कर रामराज्य का आदर्श प्रस्तुत किया। रामराज्य के लिए जिये और उसी के लिए मरे। 

  1. सत्य और अहिंसा के पुजारी – गाँधी जी सत्य और अहिंसा के सच्चे पुजारी थे। उन्होंने अपने जीवन भर सत्य और अहिंसा के सफल प्रयोग किये और इसी के बल पर भारत को स्वतंत्रता दिलायी।
  2. मातृ भक्त – गाँधी जी माता के परम भक्त थे। उन्होंने  अपनी माँ के उपदेशों को सदैव याद रखा।
  3. हरिजन-प्रेमी – गाँधी जी हरिजनों से अत्यधिक सहानुभूति रखते थे। छुआछूत की भावना उनसे मीलों दूर थी। वे हरिजनों को गले लगाते थे।  उनके साथ बैठकर खाते-पीते थे।
  4. निष्काम कर्मयोगी – गाँधी जी कर्म करते थे, पर उसके पीछे उनका कोई स्वार्थ नहीं रहता था। उन्होंने देश को स्वतंत्र कराया, परन्तु किसी अधिकार या सम्मान की कामना नहीं की। उनका बलिदान निःस्वार्थ था। भागवत गीता के निष्काम कर्मयोग के वे मूर्तरूप थे।

उपसंहार

गाँधी जी ने हिन्दू-मुस्लिम एकता, दलितोद्धार, ग्राम-सुधार और खादी प्रचार के लिए अत्यन्त प्रयास किये। निसन्देह गाँधी जी धरती पर एक महामानव के रूप में अवतरित हुए। 

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निबन्ध 

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